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पृष्ठ:पदुमावति.djvu/५४८

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४४२ पदुमावति । २० । बसंत-खंड । [२०३ चउपाई। सखौ सो बोलो सपन बिचारी। जो गइहु काल्हि देशो कर बारी॥ पूजि मनाइहु बहुत बिनाती। परसन अाइ भएउ तुम्ह राती॥ सरुज पुरुख चाँद तुम्ह रानी। अस बर दइउ मेरावइ अानौ ॥ पछिउँ खंड कर राजा कोई। सो आइहि बर तुम्ह कह होई ॥ किछु पुनि जूझ लागि तुम्ह रामा। राोन सउँ होइहि सँगरामा ॥ चाँद सुरुज सउँ होइ बिआइ। बारि विधंसब बेधब जस ऊखा कहँ अनिरुध मिला। मेटि न जाइ लिखा परबिला ॥ दोहा। सुख सोहाग हइ तुम्ह कहँ पान फूल रस भोगु । आजु काल्हि भा चाहिश अस सपने क सँजोगु ॥ २०३ ॥ इति बसंत-खंड ॥२०॥ - सा = सा = वह । बोलो = बोलदू (वदति) का भूत-काल में स्त्री-लिङ्ग का एक- वचन । सपन-खन = सपना। बिचारी= विचार कर (विचार्य)। गहु = गई थी। काल्हि = कल = कल्य। देवी = देव । कर = को वा का। बारी= बार = द्वार, वा बारी= वाटिका। पूजि = पूजा कर = आपूज्य । मनाइहु = मनाया, वा मनाई = मनावद (मानयति) से । बहुत = बहतर । बिनाती = विज्ञप्तिका = प्राकृत विमत्तिश्रा । परसन = प्रसन्न = खुश । प्रादू = पा कर (एत्य)। भण्उ = भया = हुश्रा ( बभूव )। तुम्ह = तुम से। रानी = हे रानौ। सूरुज = सूर्य। पुरुख = पुरुष। चाँद = चन्द्र । श्रम ऐसा= एतादृश। बर = वर = पति । ददउ = देव = भगवान् । मेराव = मिलावे, यहाँ मिलावेगा - मेल- वर (मेलयति) का भविष्य-काल । भानौ = पान कर आनीय। पछिउँ = पश्चिम । =खण्ड = भू-खण्ड। आइहि = श्रावेगा = श्रावद (आयाति) का भविष्य-काल में प्रथम-पुरुष का एक-वचन । होई = होगा (भविष्यति)। किछु = कुछ = किञ्चित् । पुनि = पुनः = फिर। जूझ

लग कर, वा लागि = लिये। रामा

राम को स्त्री, सोता = रमा। राधान= रावण । सउँ= से। होइहि = होगा (भविष्यति)। खंड युद्ध। लागि