२३५] सुधाकर-चन्द्रिका। ५०७ दोहा। छोड दी। - - - तेहि कारन वह जोगी भसम कौन्ह तन दाहि । तूं अस निठुर निछोही बात न पूँछौ ताहि ॥ २६५ ॥ कहि कदू = कह कर (कथयित्वा)। सुत्र = शुक ने। छोडि दद दद =दौ = दई (अदात् ) । जानहुँ = जाने = जानौँ । दौपदीपक = दौया = चिराग। कुत = छूते (स्पृशन्) । तस = तथा = तैसो । तातौ = तप्त = गर्म । गिहि = यौवा में- ग्रोवायाम् । बाँधे =बंधे थे = बद्ध थे। कंचन = काञ्चन = सुवर्ण । तागे सूत्र । राते रक्त = लाल । स्थाव = श्याम = काला। जरि = जल कर (प्रज्वल्य )। लागे = लगे लग्न हो गए। गिनि अग्नि = आग। साँस श्वास । संग संग = साथ । निसरी निसरद (निःसरति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन । तरुअर = तस्वर = बडे वृक्ष । जरहि = जरदू (ज्वलति) का बहु-वचन = जलते हैं। तहाँ = तत्र । को = क्या = किम् । रोदू = रो कर (रुदित्वा)। कहौ = कहद् (कथयति) का प्रथम- पुरुष, भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन । वाता= वार्ता = वात । रकत = रक्त = रुधिर। क = को। आँसुहि = भाँसुओं से = अश्रुभिः। भा = भया (बभूव ) इत्रा। मुख = मुंह । रक्त = लाल । देखु = देख (पश्य)। कंठ = कण्ठ = गला । लागु = लगा = लग्न हुआ। सो = वह । गेरा = गिरा दिया। कम = कथम् =
जलता है (चलति)। बिरह = विरह = वियोग। अस
एतादृश = ऐसा। घेरा = घेर लिया। हाड = अस्थि = हड्डिौँ । भए = हुए (बभूवुः)। चना चूर्ण। तहाँ तच। माँस मांस । को किम् = क्या । बिहना विहीन । वैदू = उन्हों ने। तोहि लागि तेरे लिये । कया = काय = शरीर = देह । असि = एतादृशौ = ऐसौ। जारी= जारद (ज्वालयति ) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन । तपत = तप्त । मौन = मछली। जल = पानी। रहदू = रहने को। पारी पारद (पारयति) का प्रथम-पुरुष, भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन ॥ कारण । जोगी = योगौ। भसम = भस्म = राख। कीन्ह = किया (अकरोत् )। तन = तनु = देह । दाहि = दाह कर (दग्ध्वा ) । = त्वम् । निठुर = निष्ठुर = क्रूर निछोही= निःक्षोभी= निर्माहौ। बात = वार्ता । पूंछौ = पूँछ (पृच्छति) का प्रथम- पुरुष, भूत-काल, स्त्रीलिङ्ग का एक-वचन ॥ राता कैसा। जर कारन = -