पृष्ठ:पदुमावति.djvu/६९६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

५७८ पदुमावति । २५ । सूरी-खंड । [२६७ यस्याः श्रयम् । प्राण। ले कर। % 3D कहहि = कथयन्ति = कहते हैं । सर्वर = संस्मर = स्मरण कर = याद कर । जेहि = जेहि = यस्य वा यस्याः = जिसे। चाहसि = इच्छमि = चाहता है। सवरा = स्मरण = याद। हम = हौं (अहम् ) का बहु-वचन। तोहि =तोहि = तव = तुझे। करहिं - कुर्मः = करते हैं । केति = केतक = केतकी। कर = का। भवरा=भ्रमर = भौंरा। कर्हसि अकथयत् कहा । श्रोही = श्रोही = तस्याः = उसी को। सर्वर = स्मरामि स्मरण करता है । हरि = हर = प्रत्येक । फेरा = फेर = वार = मर्तबा । मुअ = मरने पर = मरणानन्तर। जित =जीते =जीवने। श्राहद् = अस्मि = हूँ। जेहि केरा जिम का। जहाँ = यत्र । सुनऊ= श्टणुयाम् = सुनें। पदुमावति = पद्मावती । रामा = सुन्दरौ= रमणौ। जिउ =जीव नेवछावरि न्योछावर=नामोत्सव । तहि = तेहि = तिस । नामा = नाम । रकत = रक्त = लोह। क = को। बूंद = बिन्दु । कया = काय = शरीर। जत = यावत् । अहहौं = सन्ति है। रहहि = तिष्ठन्ति = रहैं। त= = तहि = तो। मह = मध्ये = में । ठाऊँ = ठाव स्थान। परहि = पतन्ति पहुँ। सोई = सा एव = वही। लेदू = श्रालाय नाऊँ = नाव = नाम। रो= रोम = रोआँ। तनु = शरीर। ता सउँ = तिस से उस से श्रोधा = रुद्ध = नद्ध = बाँधा । सूत = सूत्र = मुसल्मानौ तसू = (इंच) का चौथा हिस्सा । बेधि = विद्ध्वा = बेध कर = छेद कर। सोधा = शोधयामास शुद्ध किया। हाड = अस्थि = हड्डौ। सबद = शब्द = धुनि । सो = वह । होई = भवति = होता है। शिरा। माँह = मह मध्ये =में। उठ = उत्तिष्ठते उठती है। धुनि = आवाज ॥ खादू = खाय = भक्षण । बिरह = विरह = वियोग। गा= श्रगात् = गया। ता कर = तिस का = उस का। गूद = गुद्दा । मासु = मांस । कद् = को। खान = खनि । हउँ = अहम् = हौं। हो = भूत्वा = हो कर। साँच= साँचा = सत्ता । रहा = अभूत् । अब = इदानीम् = अधुना । समान = समाय गई = समनयत् ॥ ( लोग ) कहने लगे कि जिसे स्मरण करना चाहता है स्मरण कर, हम (अब) तुझे केतकी का भौंरा किया चाहते हैं, अर्थात् जैसे केतकौ के नोख-दार पत्ते पर बैठ कर भौंरा अपने गले को छदवा कर प्राण देता है उसी तरह हम तुझे शूली पर लटकाया चाहते हैं। (इस बात को सुन कर रत्न-सेन ने ) कहा कि हर वार उसी को सुमिरता हूँ जिस का कि मैं मरने और जीने पर है। जहाँ पद्मावती सुन्दरी को '=तस्याः। नस- तस्याः