पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/१०७

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Pada 9] Moral Preparation. ४९ (९) अनुवाद. जिस से जय होगी वह रथ दूसरा है । शौर्य और धैर्य उस रथ के पहिये हैं । सत्य और शील दृढ़ ध्वजा और पताका हैं । बल, विवेक, दम और परोपकार घोड़े हैं । वे क्षमा, कृपा और समता की तीन लड़ी रस्सी से स्यन्दन में जुड़े हैं। ईश्वर का भजन चतुर सारथी है । विरक्ति ढाल है । सन्तोष कृपाण है | दान परशु है । बुद्धिं प्रचण्ड शक्ति है । श्रेष्ठ विज्ञान कठिन कोदण्ड है । मल रहित और अचल मन तूणीर के समान हैं । शम, यम, नियम अनेक बाण हैं । विप्र और गुरु की पूजा अभेद्य कवच है । इसके समान विजय का उपाय अन्य कोई नहीं है । .