पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/२२३

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Pada 9].: ! Ascent १६५ (९) अनुवाद प्रकाश झिलमिल झिलमिल बरस रहा है और सदा सम्पूर्णतया प्रकट होता है । अनाहत शब्द रुनझुन रुनझुन बजता है । भ्रमर का गुँजार आकाश पर चढ़ कर गरजता है । मोती रिमझिम रिमझिम बरस रहे हैं और निरन्तर ज्योति का प्रकाश हो रहा है । यारी कहते हैं, नाम निर्मल निर्मल है और वहां मैनें विश्राम लिया है ।