पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/३११

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Dohas 10-12] Pilgrimage २५३ " (१०) अनुवाद. राम ' नाम ठग ठाकुर और चोर सभी कहते हैं । पर जिस नाम से ध्रुव और प्रल्हाद तर गए, वह नाम कुछ और ही है । (११) अनुवाद. तुलसीदास कहते हैं कि यदि भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो तो मुखद्वार की जीभ देहली पर राम नाम मणि दीप रक्खो । (१२) अनुवाद. राम का नाम कल्पतरु है । वह कलि में कल्याण का निवास है । तुलसीदास जी कहते हैं कि उसका स्मरण करते करते मैं भाँग से तुलसी हो गया ।