पृष्ठ:परमार्थ-सोपान.pdf/५१५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(b) एक भरोसो, एक बल, एक आस विस्वास एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास । 4. Passion for Liberation :- कोजै प्रभु अपने विरंद की लाज । महा - पतित कबहूँ नहिं आयौं नैकु तिहारे काज । लीजै पार उतारि सूर कों महाराज ब्रजराज । 5. Pangs of Separation :- प्रीति लगी तु नाम की, पल विसरे नाई, नजर करौ मेहर की, -II-4.30 -I.1-6 मोहि मिलौ गुसांई, नैना तरसे दरस को पल पलक न लागे । दर बन्द दीदार का, i निसि वासर जागै । 17 -I-4-16 We may compare with this the fans of ज्ञानेश्वर, एकनाथ and तुकाराम. C. Psychological. G. Intoxication of Devotion :- (a) दरस दिवाना बावला, अलमस्त फकीरा एक अकेला व्है रहा, अस्मत का धीरा । 3 -I-5-22