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- ज वर्दस्ती लूटना उचित ठहराया जा सके। अब केवल एक चीज़ की कमी थी ऐसी संस्था की, जो न केवल व्यक्तियो की नयी हासिल की हुई निजी सम्पत्ति को गोत्र-व्यवस्था की पुरानी सामुदायिक परम्पराओं से बचा सके, जो निजी सम्पत्ति को, जिसकी पहले अधिक प्रतिष्ठा नहीं थी, न केवल पवित्र करार दे और इस पवित्रता को मानव समाज का घरम लक्ष्य घोषित कर दे, वल्कि जो सम्पत्ति प्राप्त करने, और इसलिये सम्पत्ति को लगातार बढाते रहने के नये और विकसित होते हुए तरीकों पर सार्वजनिक मान्यता की मुहर भी लगा दे; ऐसी संस्था की, जो न केवल समाज के नवजात वर्ग-विभाजन को, बल्कि सम्पत्तिवान वर्ग द्वारा सम्पत्तिहीन वर्गों के शोषण किये जाने के अधिकार को और सम्पत्तिहीन वर्गो पर सम्पत्तिवान वर्गो के शासन को भी स्थायी बना दे। और यह संस्था भी आ पहुंची। राज्य का आविष्कार हुआ।