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पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१४५

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से रक्षा करना था। एक प्रकार की सम्पत्ति की रक्षा के दूसरे प्रकार की सम्पत्ति पर हमला किये बिना नहीं कर सकती। महान फ्रासीसी क्रान्ति में पूजीवादी सम्पत्ति को बचाने के लिये सामन्ती सम्पत्ति की कुरबानी दी गयी। सोलन की क्रान्ति में कर्जदारों की सम्पत्ति के हित में महाजनों की सम्पत्ति को नुकसान उठाना पड़ा। कर्स सीधे-सीधे मंसूख कर दिये गये। विस्तृत जानकारी हमारे पास नही है, पर सोलन ने अपनी कविताओं में बड़े गर्व के साथ कहा है कि उसने ऋण-ग्रस्त खेतों से रेहन के खम्भे हटवा दिये हैं और उन सब लोगों को स्वदेश लौटने का अवसर दिया है जो कर्ज के कारण घर छोडकर भाग गये थे, या जो विदेशो मे बेच दिये गये थे। ऐसा सम्पत्ति के अधिकारों पर खुले आम चोट करके ही किया जा सकता था। सचमुच , प्रारम्भ से अंत तक सभी तथाकथित राजनीतिक क्रान्तियों का उद्देश्य यह था कि एक तरह की सम्पत्ति की रक्षा करने के लिये दूसरी तरह की सम्पत्ति को जब्त करे, यूं भी कहा जा सकता है कि चुरा ले । इसलिये यह विलकुल सच है कि २,५०० वर्ष से सम्पत्ति के अधिकारो को तोड़कर ही निजी सम्पत्ति की रक्षा हो सकी है। किन्तु अब इस बात की भी व्यवस्था करना आवश्यक था कि स्वतन्त्र एथेंसवासियो को दोबारा गुलाम न बनाया जा सके। शुरू मे इसके लिये कुछ आम ढग कदम उठाये गये। मिसाल के लिये ऐसे करारी पर रोक लगा दी गयी जिनमे खुद कर्जदार को रेहन कर दिया जाता था। इसके अलावा एक सीमा निश्चित कर दी गयी जिससे अधिक जमीन कोई व्यक्ति नही रख सकता था। इसका उद्देश्य यह था कि किसानो की जमीन को हड़पने की अभिजात वर्ग की लिप्सा पर कुछ हद तक रोक लगायी जा सके। इसके बाद संवैधानिक संशोधन किये गये जिनमे से निम्नलिखित हमारे लिये सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है : परिपद् के सदस्यो की संख्या बढाकर चार सौ कर दी गयी जिनमें हर कवीले से सौ सदस्य होते थे। अतएव ,, कबीला अभी भी आधार का काम दे रहा था। परन्तु पुराने विधान का यही एक पक्ष था जो नये राज्य- संविधान का अंग बनाया गया। इसको छोडकर सोलन ने नागरिकों को चार वर्गों में बांट दिया था। इस विभाजन का प्राधार यह था कि किस नागरिक के पास कितनी जमीन है और उस जमीन की उपज कितनी है। पहले तीन वर्षों में वे लोग रखे गये थे जिनकी जमीन से क्रमश: कम से 109 १४७