. बुद्धिवादी-व्यवहारवादी प्रयासों और वर्णनों ने इस घंधकार को और भी घना कर दिया है, जिनकी कृतियां हमारी स्रोत-सामग्री का काम देती है- निश्चित रूप से यह बताना असम्भव है कि पुरानी गोत्र-व्यवस्था को जिस क्रान्ति ने नष्ट किया, वह कब, क्यों और कैसे हुई थी। इस सम्बन्ध मे हम निश्चय के साथ केवल एक बात कह सकते है और वह यह कि इस क्राति की जड़ में प्लेवियनो और populus का संघर्ष था। नये संविधान ने, जिसका निर्माता रेक्स सर्वियस दुल्लियस कहा जाता है और जो यूनानी नमूने के , विशेषकर सोलन के नमूने पर आधारित था, एक नयी जन-सभा की स्थापना की, जिसमें भाग लेने या न लेने का अधिकार populus और प्लेबियनों दोनो को बिना किसी भेदभाव के इस आधार पर होता था कि वे सैनिक सेवा प्रदान करते थे या नहीं। आबादी के तमाम पुरुषों को जो सैनिक सेवा प्रदान करने के लिये बाध्य थे, दौलत के प्राधार पर छः वर्गों में बांट दिया गया था। पहले पांच वर्गों के लिये न्यूनतम साम्पत्तिक अर्हता यह थी : पहला वर्ग-एक लाख एस्से; दूसरा वर्ग-७५ हजार एस्से; तीसरा वर्ग-५० हजार एस्से; चौथा वर्ग-२५ हजार एस्से; पांचवां वर्ग- ११ हजार एस्से। यूरो दे ला माल के अनुसार ये क्रमशः लगभग १४,०००; १०,५००, ७,०००; ३,६०० और १,५७० मार्क के बराबर होते थे। 126 छठा वर्ग सर्वहारा का था जिनके पास इससे भी कम सम्पत्ति थी और जिन्हे न कर देना पड़ता था और न जिनके लिये सेना में काम करना आवश्यक था। नयी जन-सभा मे, जिसे सेटुरियानों की सभा (comitia centuriata) कहते थे, नागरिक लोग सैनिको की तरह सो. सौ की टुकड़ियो (सेंटुरियानो) मे भाग लेते थे और हर सेदुरिया का एक वोट होता था। पहला वर्ग ८० सेटुरिमाएं भेजता था, दूसरा वर्ग २२, तीसरा वर्ग २०, चौथा वर्ग २२, पांचवां वर्ग ३०, और छठा वर्ग भी औचित्य के ख़याल से १ सेंटुरिया भेजता था। इनके अलावा घुड़सवारो की १८ सैंटुरियाएं होती थी, जिनमें सबसे अधिक धनी लोग लिये जाते थे। कुल मिलाकर १६३ सेंटुरियाये होती थी। वहुमत प्राप्त करने के लिये ६७ वोट जरूरी होते थे। मगर केवल घुड़सवारो और पहले वर्ग को ही मिलाकर १८ वोट हो जाते थे और इस प्रकार नयी जन-सभा में उनका बहुमत था। जब उनमे मतभेद नहीं होता था, तब वे दूसरे वर्गों से पूछने तक नहीं थे और खुद फैसला कर डालते ये जो वैध माना जाता था। १६६
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