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पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/१६६

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७ केल्ट तथा जर्मन लोगों में गोत्र आज भी विभिन्न जांगल तथा बर्बर जन-जातियो में गोत्र-व्यवस्था को जो संस्थायें कमोबेश शद्ध रूप मे पायी जाती है, या एशिया की सभ्य जातियों के प्राचीन इतिहास मे ऐसी संस्थानों के जो चिह्न मिलते है, उनकी हम यहा स्थानाभाव के कारण चर्चा नहीं कर सकते। ये संस्थायें या उनके चिह्न सभी जगह मिलते है । कुछ उदाहरण देना काफ़ी होगा। जिस समय गोत्र को पहचाना तक नही गया था, उसी समय उस आदमी ने, जिसने गोत्र को गलत ढंग से समझने की सबसे अधिक कोशिश की है, गोत्र की ओर इंगित किया था और मोटे तौर पर उसका सही-सही वर्णन किया था। हमारा मतलब मैक-लेनन से है, जिन्होंने कि काल्मीक, चेकेसियन और नेनेत्स (Samojeden)• में, और वारली, मगर तथा मणीपुरी नाम की तीन भारतीय जातियो में गोन-व्यवस्था के पाये जाने के बारे में लिखा था। हाल मे मदिमम कोवालेवी ने इस व्यवस्था का वर्णन किया है, जो उन्हें पशाव, खेवसूर, स्वान तथा काकेशिया के अन्य कबीलों में मिली है। हम यहां पर केल्ट तथा जर्मन लोगों मे गोन-व्यवस्था के अस्तित्व के विपय में कुछ संक्षिप्त टिप्पणियों तक ही अपने को सीमित रखेंगे। प्राचीनतम केल्ट कानूनो मे, जो भाज भी मिलते है, हम गोत्र-व्यवस्था को अभी भी जीता-जागता पाते है। प्रायरलंड में जहां अंग्रेजो ने जबर्दस्ती इम व्यवस्था को नष्ट कर डाला है, वह प्राज भी, कम से कम गहजभावी रूप से लोक-मानस मे जीवित है। स्काटलंड मे वह पिछली शताब्दी के 128 . सुदूर उत्तर में रहनेवाली नेनेत्स जाति का पुराना नाम ।-० १६८