दिया है जिस रूप में वह इस पुस्तक के पुराने संस्करणों में छपा है। परन्तु इस बीच सवाल का एक और पहलू सामने आ गया है। कोवालेव्स्की ने यह सिद्ध कर दिया है ( देखिए इस पुस्तक का पृष्ठ ४४*) कि मातृसत्तात्मक सामुदायिक परिवार और आधुनिक पृथक् परिवार को जोड़नेवाली बीच की कड़ी के रूप में पितृसत्तात्मक सामुदायिक कुटुम्ब का अस्तित्व सभी जगहों में नही , तो बहुत अधिक जगहो मे रहा है। जव से यह सिद्ध हुआ है तब से वहस की वात यह नही रह गयी है कि जमीन सामूहिक सम्पत्ति थी अथवा निजी-जिस बात को लेकर मारेर और वेट्ज के वीच वहस चल रही थी- वल्कि अब वहस की बात यह है कि सामूहिक सम्पत्ति का उस समय क्या रूप था। इसमें तनिक भी संदेह नहीं हो सकता कि सीज़र के समय मे सुएवो लोगों में न केवल भूमि पर सामूहिक स्वामित्व हुग्रा करता था, वरिक सब लोग मिलकर साझे की खेती करते थे। इन लोगो की आर्थिक इकाई क्या थी - गोत्र , सामुदायिक कुटुम्ब , या कोई वीच का रक्तसम्बद्ध सामुदायिक समूह , अथवा क्या भूमि की विभिन्न स्थानीय अवस्थाओं के फलस्वरूप ये तीनों ही रूप पाये जाते थे-इम सवाल पर अभी बहुत दिन तक बहस चलती रहेगी। कोवालेव्स्की का कहना है कि टेसिटस ने जिन परिस्थितियों का वर्णन किया है, वे परिस्थितियां माकं या ग्राम-समुदाय के लक्षण नहीं है, बल्कि उस सामुदायिक कुटुम्य के लक्षण है जो बहुत वाद में चलकर आवादी के बढ़ जाने के कारण ग्राम- समुदाय में बदल गया। इसलिये यह दावा किया जाता है कि रोमन काल में जिस इलाके में जर्मन रहते थे उसमें , और बाद मे जो इलाका उन्होंने रोमन लोगों से छीना, उसमे भी जर्मन बस्तियां गांवों के रूप में नहीं, बल्कि बड़े-बड़े सामदायिक कुटुम्बों के ही रूप में रही होंगी, जिनमें कई पीढियां एकसाथ रहती थों और जो अपने प्राकार के अनुसार जमीन के बड़े-बड़े वित्तो को जोतते थे और इर्दगिर्द की परती जमीन को अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर सामूहिक भूमि-मार्क - के रूप में इस्तेमाल करते थे। यदि यह वात मही मान ली जाये तो येती की जमीन को हर साल बदलने के बारे में टेमिटस के इतिहास के अंश को कृषि विज्ञान के अर्थ में लेना पड़ेगा, यानी तव प्रस्तुत पण्ड, पृष्ठ ५४।-सं० १८१
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