सकती थी, दूसरी बुनियादी रूप अभी वन नही सकती थी। इस स्थिति मे पूर्ण क्रान्ति ही कुछ कर सकती थी। प्रांतों की हालत इससे बेहतर नही थी। हमारे पास जो रिपोर्ट है। उनमे अधिकांश गाल प्रदेश के बारे में है। यहां coloni के साथ-साथ स्वतन्त्र छोटे किसान अभी भी मौजूद थे। अफसरों, जजी और सूदखोरो के अत्याचारों से बचने के लिये ये किसान अक्सर शक्तिमान व्यक्तियो के संरक्षण मे, उनकी सरपरस्ती में रहते थे ; अलग-अलग व्यक्ति ही नहीं, बल्कि पूरे के पूरे समुदाय ऐसा करते थे। यहा तक कि चौथी सदी के सम्राट अमर फ़रमान जारी कर इस प्रथा पर प्रतिबंध लगाते थे। पर ऐसे सरक्षण से उन लोगो को क्या मदद मिलती थी जो इसे प्राप्त करने की कोशिश करते थे? संरक्षक इस शर्त पर उन्हे सरक्षण प्रदान करता था कि वे अपनी जमीनें उसके नाम कर दें, बदले में वह उन्हें जीवन भर इन जमीनो को इस्तेमाल करने का हक दे देता था। पवित्र चर्च ने इस चाल को याद रखा और नवी तथा दसवी सदी में इसका खूब इस्तेमाल किया, जिससे भगवान का गौरव भी बढ़ा और गिरजाघर की जमीन-जायदाद में भी बड़ा इजाफा हुआ। हा, उस समय , सन् ४७५ के करीव , हम देखते है कि माई का बिशप सालवियेनस इस डकैती की जोरदार निन्दा कर रहा है। वह हमे बताता है कि रोम के अधिकारियो और बड़े जमीदारो का अत्याचार इतना असह्य हो उठा था कि बहुत उन इलाको मे भाग गये थे जिन पर बर्बर लोगों का कब्जा हो चुका था, और ऐसे जिलों मे जो रोमन नागरिक वस गये थे, उन्हे सबसे ज्यादा इस बात का भय था कि उनका इलाका कहीं फिर से रोमन शासन के अधीन न हो जाये। 12 उस जमाने मे अक्सर गरीव मां-बाप अपने बच्चों को दासो की तरह बेच डालते थे- यह बात इस प्रथा को रोकने के लिये बने एक कानन से मिद्ध होती है। रोमनो को खुद उनके राज्य से मुक्त करने के एवज में जर्मन वबंरो में पूरी जमीन का दो-तिहाई भाग खुद हड़प लिया और उसे आपस मे वांट लिया। बंटवारा गोत्र-व्यवस्था के अनुमार किया गया। विजेता चूंकि संख्या में कम थे, इमलिये बड़े-बड़े भूखंड विना बंटे रह गये। इनमें से कुछ तो पूरी जाति को सम्पत्ति रहे और कुछ अलग-अलग कबीलों या नों की। हर गोत्र में अलग-अलग कुटुम्बो के बीच येतो व चरागाहों का बंटवारा वरावर-वरावर हिस्मे बनाकर परची डालकर किया गया। उस रोमन" ११४
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