से परिवार एकसाय रहते थे। जो कुछ साथ मिलकर तैयार किया और इस्तेमाल किया जाता था-जैसे घर, बगीचा, लम्बी नाव- वह सब को सामूहिक सम्पत्ति होता था। अतएव, वह 'कमायी हुई सम्पत्ति" यहां और सिर्फ यही मिलती है, जिसे न्यायशास्त्री और अर्थशास्त्री झूठमूठ के लिये सभ्य समाज की विशेषता बताते है और जो अाधुनिक पूजीवादी सम्पत्ति का अन्तिम झूठा कानूनी प्राधार बनी हुई है। परन्तु मनुष्य हर जगह इसी अवस्था में नहीं रहा। एशिया मे उसे ऐसे पशु मिल गये जिन्हे पालतू बनाया जा सकता था ; उन्हे बाडे में रखकर उनको नस्ल बढायी जा सकती थी। जंगली भैस का शिकार करना पड़ता था, पालतू गाय हर साल एक बछड़ा और उसके ऊपर दूध देती थी। कई सबमे उन्नत कबीलों ने-जैसे आर्यों, सामी लोगो और शायद तूरानियो ने भी- पशुनों को पालतू बनाया, और वाद मे पशुपालन व पशुप्रजनन को अपना मुख्य पेशा बना लिया। पशुपालक कवीले वर्बर लोगो के माधारण जन-समुदाय से अलग हो गये। यह पहला बड़ा सामाजिक श्रम-विभाजन था। ये पशुपालक कबीले , दूसरे वर्वर कबीलो मे न सिर्फ ज्यादा खाने-पीने का सामान तैयार करते थे, बल्कि अधिक विविधतापूर्ण मामान तैयार करते थे। उनके पास न केवल दूध, दूध से बनायी वस्तुएं और गोश्त दूसरे कबीलों की तुलना में अधिक मात्रा मे होता था, वल्कि उनके पास खाले , ऊन, बकरियों के बाल , और ऊन कातकर और बुनकर बनाये गये कपड़े भी थे, जिनका इस्तेमाल, कच्चे माल की मात्रा में दिनोदिन होनेवाली बढती के साथ-साय , लगातार वढ रहा था। इससे पहली वार नियमित रूप से विनिमय सम्भव हुआ। इसके पहलेवाली अवस्थानो मे केवल कभी- कभी ही विनिमय सम्भव था; कुछ लोगो की हथियारो व अौजारो के बनाने में विशेष निपुणता क्षणिक श्रम-विभाजन को संभव बना सकती थी। उदाहरण के लिये , बहुत-सी जगहो में नवीन प्रस्तर युग के पत्थर के औजार बनानेवाले कारखानो के अवशेष मिले है, जिनके बारे में किमी प्रकार के मदेह की
- विशेषकर अमरीका के उत्तरी-पश्चिमी तट पर; देखिए बैंकोफ्ट ।
क्वीन शर्लोट द्वीपो के निवासी हैडा लोगो मे तो कुछ घरो में सात-मात सौ व्यक्ति एकसाथ रहते है। नूटका लोगों में पूरा का पूरा कबीला एक घर मे रहता था। (एंगेल्स का नोट ) २०५