और चहारदीवारी से घिरे नगर, होमरीय महाकाव्य और समस्त पुराण- इन्ही वस्तुओं की विरासत को लेकर यूनानियों ने बर्बर युग से सभ्यता के युग मे प्रवेश किया था। यदि इसकी तुलना सीज़र के और यहां तक कि टेसिटम के उन जर्मनी से संबंधित वर्णनों से करें जो संस्कृति की उम अवस्था के द्वार पर खड़े थे जिसके शिखर पर पहुंचकर होमर के काल के युनानी अगली अवस्था में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे थे, तो हमे पता चलेगा कि वर्बर युग की उन्नत अवस्था में उत्पादन का कितना अधिक विकास हुना था। मोर्गन का अनुसरण करते हुए, जांगल युग तथा बर्बर युग से होकर सभ्यता के प्रारम्भ तक मानवजाति के विकास का जो चित्र मैने ऊपर खीचा है, वह अनेक नयी विशेषताओं से भरा पूरा है। इससे भी बड़ी बात यह है कि ये विशेषताए निर्विवाद रूप से सत्य हैं, क्योकि वे सीधे उत्पादन से ली गयी है। फिर भी यह चिन उस चित्र की अपेक्षा धुंधला और अपर्याप्त लगेगा, जो हमारी याना के अन्त में अनावृत होगा। उसी समय हमारे लिये वर्वर युग से सभ्यता के युग मे संक्रमण का पूर्ण चित्र देना और यह दिखलाना संभव होगा कि इन दो युगों के बीच कितना मार्के का अन्तर है। फिलहाल , मोर्गन के युग-विभाजन को हम सामान्यीकृत रूप मे इस तरह पेश कर सकते है : जांगल युग - वह काल जिसमे तत्काल उपयोज्य प्राकृतिक पदार्थों के हस्तगतकरण की प्रधानता थी। मनुष्य मुख्य तया वे प्रोज़ार ही तैयार करता था, जिनसे प्राकृतिक उपज को हस्तगत करने में मदद मिलती थी। वबर युग-वह काल जिसमे पशु-पालन तथा खेती करने का ज्ञान प्राप्त हुग्रा, और जिसमे मानव क्रियाशीलता के द्वारा प्रकृति को उत्पादन-शक्ति को बढाने के तरीके सीखे गये। सभ्यता का युग- वह काल जिसमे प्राकृतिक उपज को और भी बदलने का, सही माने में उद्योग का और कला का ज्ञान प्राप्त किया गया।
पृष्ठ:परिवार, निजी सम्पत्ति और राज्य की उत्पत्ति.djvu/३६
दिखावट