. इसके अलावा, से पितृ-सत्ता मे अंतरण थोड़े दिन ही पहले सम्पन्न हुआ होगा, क्योकि उनमें मामा-मातृ-सत्ता के अनुसार सबसे निकट का पुरुष गोन-सम्बन्धी- जानता है , जो न राज्य मे शासन करने के योग्य है और न अपने घर में, और इसलिये जिसकी पत्नी पूर्ण प्रौचित्य के साथ , शासन करती है जिसरी योग्यता पति मे नही होती। परन्तु अपने को सान्त्वना देने के लिये वह यह कल्पना कर लेता है कि दुःख के अपने फ्रांसीसी साथी से, जिसकी अधिकाश मामलो मे और भी अधिक दुर्गति होती है, वह फिर भी अच्छा है। तेकिन एकनिष्ठ परिवार, हर जगह और हमेशा अपने उस क्लामिकीय कठोर रूप मे नही प्रगट हुआ, जिस रूप में वह यूनानियो में प्रगट हुप्रा था। संसार के भावी विजेताओं को हैसियत से, यूनानियों से कम परिष्कृत पर कही अधिक दूरदर्शी दृष्टिकोण से काम लेनेवाले रोमन लोगों की स्त्रिया अधिक स्वतंत्र थी और उनका प्रादर भी अधिक होता था। रोमन पुरुष समझता था कि उसे चूकि अपनी पली के ऊपर जिन्दगी और मौत का अधिकार प्राप्त है, इसलिये वैवाहिक पवित्रता भली-भांति सुरक्षित है। पति के समान पत्नी को भी यह अधिकार था कि वह जव चाहे विवाह भंग कर दे। लेकिन एकनिष्ठ विवाह ने सबसे बडी उन्नति निश्चय ही उस समय की जब जर्मनो ने इतिहास में प्रवेश किया , लगता है कि उनमे , शायद उनकी गरीबी की वजह से , एकनिष्ठ विवाह अभी तक युग्म-विवाह की अवस्था से पूरी तरह नहीं निकल पाया था। टेसिटस द्वारा बतायी हुई तीन बातों से हम इस नतीजे पर पहुचते हैं। एक तो यह कि विवाह की पवित्रता में दृढ विश्वास के बावजूद ." प्रत्येक पुरुष केवल एक पत्नी से संतुष्ट है और स्त्रियों के चारो ओर उनके सतीत्व की दुलंध्य दीवार है,"70 – उच्च स्तर के पुरुष तथा कबीले के मुखिया कई-कई पलियां रखते थे, अर्थात् जर्मनो में भी अमरीकियों जैसी हालत थी, जिनमे कि युग्म-विवाह का चलन था। दूसरे, इन लोगो मे मातृ-सत्ता अव भी स्वयं पिता से अधिक निकट का सम्बन्धी माना जाता था। यह वात भी अमरीकी इंडियनो के दृष्टिकोण से मिलती है, जिनमे मार्म ने, जैसा कि वह अक्सर कहा करते थे, हमारे अपने प्रागैतिहासिक भत-काल को समझने की कुजी पायी थी। और तीसरे, जर्मनो मे स्त्रियों का बड़ा आदर होता था और वे सार्वजनिक जीवन में भी प्रभावशाली होती थी। यह बात पुरुष के प्राधिपत्य से, जोकि एकनिष्ठ विवाह की विशेषता है। क्योकि - . ८६
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