पृष्ठ:पाँच फूल.djvu/१२९

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फ़ातिहा


लूंँगी। अगर रुपया न आया, तो मेरे भी प्राण जायँगे, और तुम्हारे भी। अगर रुपया आ जायगा, तो कोई भी अफ्रीदी तुम पर हाथ न उठाएगा, चाहे एक बार तुम किसी को मार भी डालो। जाओ ईश्वर तुम्हारी रक्षा करें और तुमको अपने बच्चों से मिलावें।

तूरया फिर ठहरी नहीं। गुनगुनाती हुई लौट पड़ी। रात दोपहर बीत चुकी थी। चारों ओर भयानक निस्तब्धता छाई हुई थी, केवल वायु साँय-साँय करती हुई बह रही थी। आकाश के बीचोबीच चन्द्रमा अपनी सोलहों कला से चमक रहा था। तालाब के तट रुकना सुरक्षित न था। मैं धीरे-धीरे दक्षिण की ओर बढ़ा। बार-बार चारों ओर देखता जाता था। ईश्वर की कृपा से प्रातःकाल होते-होते मैं पेशावर की सरहद पर पहुँच गया।

सरहद पर सिपाहियों का पहरा था। मुझे देखते ही तमाम फ़ौज-भर में हलचल मच गई। सभी लोग मुझे मरा समझे हुए थे। जीता-जागता लौटा हुआ देखकर सभी प्रसन्न हो गये।

कर्नल हैमिलटन साहब भी समाचार पाकर उसी समय मिलने आए और सब हाल पूछकर कहा--मेजर साहब, मैं आपको मरा हुआ समझता था। मेरे पास तुम्हारे दो पत्र

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