पृष्ठ:पाँच फूल.djvu/३०

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कप्तान साहब

भक्तसिंह ने मन में कहा--एक भाग्यवान् वह है जिसके लिए फ़िटन आ रही है। एक अभागा मैं हूँ जिसका कहीं ठिकाना नहीं।

फौजी अफसर ने इधर-उधर देखा और घोड़े से उतर सीधे भक्तसिंह के सामने आकर खड़ा हो गया।

भक्तसिंह ने उसे ध्यान से देखा और तब चौंककर उठ खड़े हुए और बोले--'अरे ! बेटा जगतसिंह !' जगतसिंह रोता हुआ उनके पैरों पर गिर पड़ा।



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