पृष्ठ:पार्टनर(hindi).pdf/८

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अश्लील समझेंगे। लेकिन दरअसल लड़कें, बुजूर्गों के सामने ऐसे शब्दों का उपयोग भला ही न करें, फिर भी आपस में ऐसे शब्द उनके बोलचाल में होते हैं। यह किताब रोहित की डायरी है। इसलिए इसकी भाषा उसी ढंग की होना स्वाभाविक है। यह पुस्तक पढ़ना क्लेशकारक हो सकता है। लेकिन गौरतलब हैं की समलिंगीयों के लिए नफरत भरे परिवेश में प्रत्यक्ष जीना, पढ़नेवालें से कई गुना ज्यादा क्लेशकारक होता है। कुछ सनसनीखेज लिखकर शौहरत हासिल करने की यह चेष्टा नहीं है। ऐसे लोगों के साथ होनेवाली खिलवाड़, उनकी छटपटाहट को समझ के सामने रखने की यह एक नेक कोशिश है। आभार यह किताब पहले मराठी में प्रकाशित हुई। इसका हिंदी अनुवाद श्रीमती अवंती महाजन जी ने किया। अनुवाद करने के लिए रंजन कुमार साह जी ने मदद की। इसका मुद्रित शोधन श्री. रविकिरण गलंगे जी ने किया। यह अनुवाद और उसके प्रकाशन के लिए 'हमसफर ट्रस्ट', मुंबई और 'युएनएड्स (UNAIDS) से अनुदान प्राप्त हुआ। इन सभी का मैं बहुत आभारी हूँ। प्राथमिक मराठी ड्राफ्ट पढ़कर मुझे फीडबॅक देनेवाले डॉ. भूषण शुक्ल, डॉ. रमण गंगाखेडकर, मनीषा गुप्ते, जमीर कांबले, वैभव आबनावे, केतकी रानडे इन सबका मैं आभारी हूँ। बार-बार ड्राफ्ट पढ़कर सुझाव देनेवाली नयन कुलकर्णी का मैं ऋणी हूँ। त्रिकोण (सॅनफ्रेंन्सिस्को, कॅलिफोर्निया), हमसफर ट्रस्ट (मुंबई), 'नारी' (National AIDS Research Organization, Bhosari) इन संस्थाओं का मैं ऋणी हूँ। डॉ. विजय ठाकूर, सुनीता वाही, डॉ. अमंत साठे, डॉ. शांता सात