बहुत-सी पुस्तकें प्राप्त करके लौट चुके थे। यह एक
प्रसिद्ध प्राचीन स्थान था। इसकी ख़बर पेलियो को
पहले ही से थी। उन्होंने यह भी सुन लिया था कि
डाक्टर स्टीन वहाँ से बहुत-सी प्राचीन पुस्तकें लेकर
पहले ही चम्पत हो गये हैं। फिर भी उन्होंने वहाँ पर
अपने मतलब की कुछ चीजें पाने की आशा न छोड़ी।
खोज करने पर पेलियो को मालूम हुआ कि बैंग-ताउ
नाम का एक चीनी बौद्ध पुरानी पुस्तकों का स्थिति-स्थान
जानता है। पता लगाने पर वह बौद्ध साधु उन्हें मिल
गया। पेलियो ने उससे हेल-मेल पैदा करके पुस्तकों
का अनुसन्धान लगाने की प्रार्थना की। उसने इस
प्रार्थना को स्वीकार किया। वह उन्हें एक ऐसी जगह ले
गया जहाँ पर कोई एक हज़ार वर्ष की पुरानी सैकड़ों
बौद्ध-गुफायें या कोठरियाँ थीं। उनमें से, किसी समय,
उसने एक को खोल कर देखा था और वह उसे पुस्तकों
से परिपूर्ण मिली थी। इसी गुफा को बैंगे ने पेलियो के
लिए खोला। खोलने पर जो दृश्य पेलियो को दिखाई
दिया उससे उनके आश्चर्य और हर्ष की सीमा न रही।
ईसवी सन् की दसवीं शताब्दी के अन्त में जब मुसलमानों
ने बौद्धों के नाश का बीड़ा उठाया तब उस प्रान्त के
बौद्ध विद्वानों ने अपना सारा प्रन्थ और चित्र-समुदाय
लाकर उस गुफा में बन्द कर दिया। फिर उसका मुँह