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पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/१२

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पुरातत्त्व-प्रसङ्ग


कैसी है? उनके रीति-रस्म कैसे हैं? उनके पूर्वजों की दशा कैसी थी? इत्यादि। अतएव वह उनकी लिपि, उनकी राजनीति, उनकी समाजनीति, उनकी कला-कुशलता आदि से परिचय प्राप्त करने की चेष्टा करता है, और धीरे धीरे उनके धर्म्म, समाज और इतिहास आदि विषयों का ज्ञान-सम्पादन करने में लग जाता है। पहले पहल व्यापार करने और तदनन्तर भारत में अपना राज- चक्र चलाने के लिए आये हुए अँगरेज़ों ने, इसी प्रवृत्ति के वशीभूत होकर, इस देश के इतिहास की खोज का उपक्रम किया था।

पलासी के युद्ध के बाद अंगरेजों की ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रावल्य इस देश में बढ़ने लगा। १७७४ ईसवी में उसने बङ्गाले के तत्कालीन नवाब को पदच्युत करके उस प्रान्त के शासन का सूत्र, अपना गवर्नर जनरल नियत करके, उसके हाथ में दे दिया। अतएव अँगरेज-कर्म- चारियों की संख्या वृद्धि होने लगी। इन कर्मचारियों में कितने ही विद्वान और सुशिक्षित थे। उन्हीने पहले पहल भारत के पुरावृत्त के निर्माण का श्रीगणेश किया। पीछे से तो फ्रांस, जर्मनी और आस्टिया आदि देशों के निवासियों ने भी इस काम में हाथ लगाया और अँगरेजों को अपेक्षा इन्हीं लोगों ने भारतीय इतिहास का अधिक उद्धार किया। परन्तु काम का आरम्भ ईस्ट इंडिया