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प्राचीन हिन्दुओं की समुद्र-यात्रा
न समझते थे और जहाज, बनाना तथा चलाना अच्छी
तरह जानते थे। जिन लोगों की यह धारणा है कि
प्राचीन-काल के भारतवासी कूपमण्डूकवत् अपने ही घर
में घुसे रहते थे--द्वीप-द्वीपान्तरों को न जाते थे--उन्हें
बौद्ध-ग्रन्थो से दिये गये प्रमाणों को कान खोल कर सुन
लेना और अपने भ्रम तथा अज्ञान को दूर कर देना
चाहिये।
[ अगस्त १९२७
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