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पृष्ठ:पुरातत्त्व प्रसंग.djvu/७३

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सुमात्रा, जावा द्वीपों में प्रा०हिं०सभ्यता


कृपा से विजनराज या विजानराज चैटर्जी ने तिब्बत, इंडो-चायना और जावा आदि को खूब सैर की है और वहाँ के प्राचीन इतिहास से विशेष अभिज्ञता भी प्राप्त को है। उन्होंने पुरातन काम्बोज अर्थात् अर्वाचीन कम्बो- डिया पर एक पुस्तक भो लिखी है। उनके लेख से मालूम होता है कि छोटे से वाली नामक टापू में अब तक प्राचीन हिन्दुओं के वंशज वर्तमान हैं। उनमें हिन्दुओ के अनेक रीति-रवाज अब तक वैसे ही पाये जाते हैं जैसे कि किसी समय हमारे पूर्वज भारत-वालियों के थे। उनके धर्म में यद्यपि बौद्ध धर्म का मिश्रण हो गया है तथापि अनेक विषयों में वे अब भी हिन्दुओं ही के धर्म-विश्वास के पक्षपाती है । उनकी उपासना-पद्धति, उनके खानपान और उनके मन्दिर आदि देख कर यह निश्चय करने में देर नहीं लगती कि वे लोग प्राचीन हिन्दुओ ही को सन्तति हैं।

जिन अध्यापक विज्ञान (विजान या विजन ) राज चैटजी का उल्लेख ऊपर किया गया उनका लिखा हुआ एक लेख गत जून के "माडर्न रिव्यू" में प्रकाशित हुआ है। वह अँगरेज़ी भाषा में है। उसमें जावा आदि टापुओं के प्राचीन इतिहास का महत्त्वपूर्ण दिग्दर्शन है। उसमें निर्दिष्ट भनेक बातें भारतवासियों के लिए नई, अतएव जानने योग्य हैं। इसी से हम उनके कुछ अंशों