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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

हाँ, ५ मार्च १९१२ तक, सभ्य संसार को उनके समाचार मिलते रहे; उसके बाद नहीं। कोई दस महीने तक टेरानोवा वाले, कप्तान स्काट के साथी, केकल उनके लौटने की प्रतीक्षा ही नहीं करते रहे, किन्तु उनका पता भी लगाते रहे। जब उन्हे यह निश्चय हो गया कि वीरवर कप्तान स्काट और उनके साथी अकाल काल-कवलित हो गये तब वे लोग इंग्लैंड को लौटे और वहाँ पहुँच कर उन्होंने संसार को यह महा-दुखदायी समाचार सुनाया।

उत्तरी ध्रुव की मात्रा में तो ऐसी दुर्घटनायें कई बार हो चुकी हैं, पर दक्षिणी ध्रुव की यात्रा में इसके पहले कभी कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई थी।

जो वीर अंगरेज इस भयङ्कर दुर्घटना के शिकार हुए हैं उनका परिचय दे देना हम यहाँ पर उचित समझते हैं। सबसे पहले कप्तान स्काट का हाल सुनिए।

स्काट साहब का पक्षियों समेत पूरा माम था---कप्तान रार्वट फैकन स्काट, आर० एन० सी०वी० ओ०, एफ० आर० जी० एस०। आपका जन्म ६ जून सन् १८६८ ईसवी को विलायत के डेवन पोर्ट औटलैंड स्थान में हुआ था। आप ने बाल्यावस्था में साधारण स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद सन् १८८२ ईसवी में आप इंँग्लैंड के नौसेना-विभाग में भर्ती हुए। बहुत दिनों तक मामूली जहाजी काम करने के बाद आप सन् १८९८ ईसवी में, इस विभाग के लेफ्टिन