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प्रबन्ध पुष्पाञ्जलि

दिखलाना मुनासिब नहीं। जब बाप झूठे सिद्धान्तों को, अविचार और दुराग्रहवश, बिना जाँच पड़ताल के, सच समझ कर, उनके अनुसार काम करने के कारण, लड़कों में पितृस्नेह का नाश कर चुकता है, उन में बेगानियत पैदा कर चुकता है, अपने कड़े बर्ताव से उनको अपनी इच्छा के विरुद्ध काम करने को विवश कर चुकता है, उन्हें बर्वाद कर चुकता है, और मामला नौवत को पहुंँचने पर वह खुद भी विपद में पड़ चुकता है तब उसकी आँखें खुलती हैं, तब उसे ख़याल होता है कि ग्रीस के प्राचीन कवि और करुण-रस प्रधान नाटकों के कर्ता आयसकिलस का हाल लड़कों को मालूम होता चाहे न होता, पर स्वभाव-शास्त्र का अभ्यास उनके लिए बहुत जरूरी था। तब वह समझता है कि यदि इस शास्त्र को वे पढ़ते तो बहुत अच्छा होता। एक विशेष प्रकार के बुखार से अपने बड़े लड़के के मरने पर जब माँ रोने बैठती है, जब कोई स्पष्ट वक्ता डाक्टर यह कह कर उसके सन्देह को पुष्ट करता है कि बहुत अधिक विद्याभ्यास करने से यदि तुम्हारे लड़के का शरीर क्षीण न हो जाता तो वह बच जाता; जब ऐसे दुःख के समय में, दुःख और अनुपात की पीड़ा से वह बेहद व्याकुल होती है तब उसे इटली के प्रसिद्ध कवि दान्ते की मूल कविता, कवि ही की भाषा में, पढ़ कर कितना