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भारतवर्ष की चौथी मनुष्य-गणना।

रोम के इतिहास से विदित होता है कि सर्वियस व्यूलियस (Servius Tullius ) नामक राजा ने पहले पहल अपने राज्य में मनुष्य-गणना की प्रथा चलाई। उसके समय की मनुष्य-गणना में नाम, ग्राम आदि के सिवा प्रत्येक परिवार के मनुष्यों का पारस्परिक सम्बन्ध और उनकी सम्पत्ति की इयत्ता की भी जाँच होती थी। इससे प्रत्येक परिवार की शक्ति और विभूति का पता लगता था। उसी न्यूनाधिक्य पर विचार करके प्रजा को कई प्रकार के अधिकार दिये जाते थे और उसी हिसाब से कर भी लगाया जाता था। रोम के शासन कर्त्ताओं ने मनुष्य-गणना को इतना उपयोगी समझा कि कुछ दिनों बाद उन्होंने हर पाँचवे वर्ष मनुष्य-गणना करने की चाल चला दी।

सन् १७८७ ईस्वी में अमेरिका के युक्त संस्थानों (United States) की स्थापना हुई। उस समय यह निश्चय हुआ कि पूर्व प्रतिष्ठित प्रादेशिक राज्यों को अपनी अपनी सीमा के भीतर स्वतन्त्र रूप से कार्य करने का अधिकार दिया जाय और अन्यान्य जातीय कार्यों के निमित्त राजनैतिक व्यवस्था दो तरह से हो---प्रादेशिक राज्यों के द्वारा तथा मनुष्यों की संख्या के अनुसार स्वतन्त्र रूप से। इसी राजनैतिक आवश्यकता के कारण वहाँ मनुष्य-गणना की प्रथा प्रचिलित हुई। पहली मनुष्य-गणना