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प्रबन्ध-पुष्पाञ्जलि

इस दशाब्दी में वहाँ से बहुत आदमी उत्तरी बर्मा और लका में जा बसे। कुछ लोग मलय प्रायद्वीप ( Malay-States ) को भी चले गये। किन्तु आखिरी रियोर्ट तैयार हुए बिना उन की ठीक संख्या नहीं बताई जा सकती।

इस दशाब्दी के आरम्भ में पूर्व-बङ्गाल और आसाम में चाय का व्यापार कुछ मन्द पड़ गया, परन्तु पीछे से उस की खूब तरक्की हुई। १९०९ में तेईस करोड़ पौंड अर्थात् कोई २८७५००० मन, चाय इस प्रान्त में तैयार हुई। इसी बीच में आसाम-बङ्गाल रेलवे जारी हुई। और इस्टर्न बङ्गाल स्टेट रेलवे का भी गोलकगञ्ज से गौहाटी तक विस्तार हुआ। यह प्रान्त अभी तक प्लेग से बचा हुआ है।

उत्तर पश्चिम सीमान्त प्रदेश में आबादी लायक जितनी ज़मीन है वह सब १९०१ के पहले ही प्रायः आबाद हो चुकी है। इस दशाब्दी में वहाँ सड़कों और रेलों का अधिक विस्तार हुआ। प्रान्त का स्वास्थ्य साधारणतः अच्छा रहा।

पञ्जाब में पहले दो वर्षों में बहुत कम उपज हुई। १९०१---०२ में देहली के इलाके और कांगड़ा जिले में, तथा उस के दूसरे वर्ष रोहतक और हिसार जिले में, लोगों को बहुत अन्नकष्ट हुआ। उस के बाद, १९०७---०८ के सिवा और सब सालों में साधारणतः