पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 1.djvu/५२९

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उम लता पुज को झिल-मिल से हेमामरश्मि थी मेल हो, दवा के सोम सुधा रस यो मनु के हाथा म बेल रही। प्रसाद वाङ्गमय ॥४८८॥