पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय खंड 3.djvu/११८

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कुछ मिनटा म तिरा एर माः रशमी धाता पहन बाथम के साप बाहर ना गई । वो पादरी तिरा र मिर पर हाथ रखे हुए कहा-गरता हा मारगरट? बाथम और जान भी तिरारा प्रमान रपन लिए भारताय समृनि म अपनी पूर्ण सहानुभूति दियात। जापस म बान पराक निरा प्राय हिन्दी म ही यालत। हा पिता । मुझ जाज चिनम्ब हुआ जन्यया महा इनम चलननिए परन अनुराध करती । मरी रमादाग्नि जान कुछ गामार है, म उमरी महायता कर रही थी, इसा म जापरा रप्ट परना पड़ा। ____ आहा । उस दुनिया मरना रा रहता हा। लनिगा। इमर यतिस्मा न लेन पर भी मै उस पर रही श्रदा रगता है। वह एर जाना-जागता वरुणा है । उसक मुग पर ममाह का जननी काल राधाया है। उस क्या हुना है वटी नमस्सार पिता | मुर ता कुछ ना हुआ है। पति रा रानी र दुलार का राग कभी-भी मुहर बहुत सताता है। --बहती हुइ एप पनाम बग्म को प्रोता स्त्री ने यून पादरी मामन पर सिर झुमरा दिया । आहा मरा सरला । तुम अच्छा हो, यह जानवर म यहुन मुपा हुना। यहा तुम प्राधना ताबरता हा न पवित्र आत्मा तुम्हारा वल्याण करतिकार हृदय म यागु थी प्यारी वरणा है, सरना । वह तुम्ह बहुत प्यार करता है। पादरी न यहा। मुझ दुनिया पर दया पर इन गान मग बड़ा उपकार दिया है साहर। भगवान् इन लागा वा मगल पर। -प्रौढ़ा न रहा। तुम बपतिस्मा क्या नहीं लती हो सरला । दम जमहाप नाक म नुन्हार अपराधा का पोन ऊपर उगा? तुम्हारा कौन उद्धार करगा? -~पादरी न वहा। जाप लागा रा मुनकर मुझ यह विश्वास हा गया है कि मसीह एव दयालु महात्मा थ । म उनम श्रद्धा करती हूँ। मुस उनकी यात सुनार ठीय भागवत य उस भत्त का स्मरण हा जाता है जिसन भगवान् का वरदान पान पा ससार-भर व दुखा का अपन लिय मांगा था-हा । वसा ही हृदय महात्मा ईसा का मी था, परन्तु पिता । इसक लिए धम-परिवर्तन करना ता दुर्बलता है। हम हिन्दुआ या धर्मवाद म विश्वास है । उपन-लपन कर्मफल ता भागन ही पड़ ग । पादरी चौर उठा । उसन वहा- तुमन ठीक नहीं समझा । पापा का पश्चा ८८ प्रसाद वाडमय