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ख C चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से इस नाटक के प्रथम प्रकाशन के समय-यह शीर्षक-रेखांकन कवि के उन्हीं सुहृद्वर के द्वारा हुआ है जिन्हें 'चन्द्रगुप्त' का प्रीति-उपहार मिला। इसलिए इसकी रेखाओं की स्नेह-सिक्त बंकिमा रक्षणीय है। (सम्पादक)