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पत्नी दामिनी। उनके चरित्र और व्यक्तित्व का भारत-इतिहास में बहुत कुछ अस्तित्व है। कुकुरी सरमा भी जनमेजय की प्रधान शत्रु थी, जिसके पुत्र को जनमेजय के भाइयों ने पीटा था। महाभारत और पुराणो के देखने से विदित होता है कि यादवों की कुकुर नाम की एक शाखा थी। सम्भवत सरमा उन्ही यादवियो में से थी जो दस्युओं द्वारा अर्जुन के सामने हरण की गयी थी। तात्पर्य यह कि इस नाटक में ऐसी कोई घटना समाविष्ट रही है जिसका मूल भारत और हरिवंश में न हो। घटनाओं की परम्परा ठीक करने मे नाटकीय स्वतन्त्रता से अवश्य कुछ काम लेना पड़ा है, परन्तु उतनी से अधिक नही, जितनी किसी ऐतिहासिक नाटक लिखने में ली जा सकती है। जनमेजय का नागयज्ञ-प्राक्कथन : २५