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पृष्ठ:प्राकृतिक विज्ञान की दूसरी पुस्तक.djvu/७६

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(६८) जहाँ तक उस लकड़ी की परछाई हो, उस स्थान पर पृथ्वी पर एक चिह्न लगा दो । लकड़ी के उपरी सिरे से इस चिह्न तक की दूरी को नाप लो । लकड़ी की लम्बाई में दूसरी लम्बाई का भाग दे दो और लब्धि को ६३०००००० से गुणा कर दो । बस जो कुछ गुणनफल होगा उतने ही मील सूरज की दूरी उस स्थान से उस समय पर होगी। गुरु:-

उ०=(अव की लम्बाई : अ स की लम्बाई)x

१३०००००० मील । Courtesy Dr. Ranjit Bhargava, Desc. Naval Kishore. Digitized by eGangotri