पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/१२२

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प्राचीन चिह्न


हैं एक बहुत ही पुराना कबरिस्तान है——उस समय का जब कि ब्रांज नामक धातु के औज़ार काम मे आते थे।

इसकी खबर कार्नवाल की रायल सोसायटी को दी गई और चन्दे से बहुत सा रुपया जमा करके यह जगह अच्छी तरह खादी गई। काई पचास हजार मन रेत और मिट्टी के नीचे दबी हुई सैकडों कबरे यहाँ पर मिली। कितने ही कङ्काल अच्छी हालत मे जैसे के तैसे मिले। स्लेट के बने हुए कितने ही तहखाने भी अच्छी हालत में मिले। हड्डियों के साथ जो चीज़े निकली वे, अत्यन्त पुरानी होने के कारण, बड़े ही महत्त्व की समझी गई।

जो अस्थिकङ्काल और चीजें इन क़बरो मे मिली उनमे से कुछ तो एक अजायबघर मे रक्खी गई हैं और कुछ वही पर, एक मकान में, शीशे के छोटे-छोटे बक्सो मे। जो चीजें मिलो हैं उनमे से कितने ही कर्प, अँगूठियाँ, कड़े और छोटी-छोटी गोलियाँ हैं। स्लेट और शङ्ख की भी कितनी ही चीजें हैं। कई चीजों के ऊपर तरह-तरह के भहे चित्र खुदे हुए हैं, जिससे साबित होता है कि ढाई-तीन हजार वर्ष पहले वहाँ के लोगों को नक्श की हुई चीज़े पहनने का शौक़ हो चला था।

वहाँ पर जो खोपड़ियाँ निकली हैं उनमे से बहुत सी इतनी अच्छी दशा मे हैं कि उन्हे देखकर शरीर-शास्त्र के जानने-वाले झट पहचान जाते हैं कि ये स्त्रियो की हैं या पुरुषो की । दॉत तक इन खोपडियों में से किसी-किसी मे अभी तक पूर्ववत्