पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/३९

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लोतियराज नान्यूनदीया प्रतिमा यदीवां यक्ष घले घामरशों पहन्ति । अशेपणाकारलिमडनावं नकारपेरन न लभेत फस्मात् ? अर्थात्, जिसकी सुपर्छ की प्रतिमा को रिद्रयां अपने हत्य पर धारण करती है यह यरेला क्यों न मर शाकों में श्रेष्ठ मममा जाय ? इसमें जो पनि है यह महज दी शान में था जाने योग्य है। रचनापतीनगाली घोर फपिता गौरवशायर याविचार परने से पटना । किरियिताम को लोलिंग्गज ने धानसपी पनाया है। संपा पर लिसा जा चुका म परिचितार मेरल ५ मर्गार पर तमिला. पर ३४ गोजमाप में उप-स तर कृपा फोगा पा सहित यम । इसपी पायिका मारा मोनियराएको फपिनाकर मपमे पागण यति नाल र मार तिरपाईची पायवादी है। यही मचनशे पर मारगे। धमा- पार पर गाय गोगा गयई पाruar army ETARI zmm ग रामापति मार HTEL ari nirman RITE refer mra मितिदिन tumfruartRAT Earrial