पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/७३

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मुसच मिश्र यह सिद्ध होता है कि ये १७२० ओर ७६५ मरी के बीच में विद्यमान थे। इससे उनको दुप कोई दे सो वर्ष पीने । यह यात मुसदेवजी के शिष्य शभुग के नयों से भी स्पष्ट है। शिरमित मेंगर, गमविलास-गमाया के शतां शभुनाय को बटीजन कदन है और नालपीमा इन्यादि के कर्ता कोरिपाटी बतलाते हैं। परंतु, यदी लोग कदन है कि दोनों पक ही व्यक्ति है। यही नहीं, किंतु नगपतराय ग्वाची परदा गानेवाले मुनाय भी बदी है। रामरिलास में शननाय तिलने है- पमुग्रह मुनि शशधर यम जित फागुन पो मान । गनुनाथ पविता दिन कोदा गमशिलाम ॥ घागर परियोर के चरनन हो पो ! निमन पापिना पग्न पो ५ मारे || फिर पीनी मापद - . मनि जागिरी मार। रपि । गि पदय गति प ६ पोती 77 माग भादों में पता कि माना चार गरया पर पता Curer RAIT मां

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