पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२५९

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सूर्य स्तोत्र प्रेमघन जी सूर्य के अनन्य उपासक थे, सूर्य देव एक प्रत्यक्ष देवता के रूप में हिन्दू समाज में पूजित हैं। कवि ने सूर्य स्तोत्र को दो खण्डों में लिखा है, एक तो दोहा के अन्तर्गत दूसरा रोला छन्द में है। सं० १९४९