पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/२८

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जीर्ण जनपद

इस प्रबन्ध काव्य के अन्तर्गत कवि ने दत्तापुर नामक ग्राम की, जहाँ पर कवि का जन्म हुआ था, तथा उसके परिवारके लोग रहते थे, चित्र अंकित किया है। यहीं पर कवि प्रेमधन के बाल्यजीवन को अनेक कौतूहलास्पद क्रीड़ायें हुई थीं। यह वही काल था जब मुसलमानी नवाबी शासन का अन्त हो रहा था और ईस्ट इण्डिया कम्पनी के शासन-काल का प्रादुर्भाव हो रहा था। कवि के इस काव्य के अन्तर्गत भारतीय संस्कृति, ऐश्वर्य, शौर्य के उदाहरण हैं। कथानक की कमनीयता उसकी नियमबद्धता से नहीं है पर भावों के उत्कर्ष हैं। इसमें भारतीय दीन-दशा के यदि चित्र एक ओर चित्रित हैं तो वीर-पूजा की भावना से प्रेरित प्राचीन भारत की गौरव गाथा भी वर्णित है। जीर्ण जनपद के अन्तर्गत कवि ने अपने बाल्यजीवन की मधुर स्मृतियों के साथ-साथ अपने पारिवारिक जीवन, उनकी रहन-सहन का चित्र तो खींचा ही है, पर सच पूछिए तो इसमें भारतीय तत्कालीन दशा का सच्चा चित्र भी अंकित है जिसके द्वारा कवि ने राष्ट्रीय जागरण का अमर सन्देश मुखरित किया है।

सं० १९६६