पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/४८८

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उर्दू विन्दु
ग़जलें


कूचये दिलदार से बादे सवा आने लगी।
जुल्फ मुश्की रुख प बल खा खा के लहराने लगी॥टेक॥
देख कर दर पर खड़ा मुझ नातवां को वो परी।
खीच कर तेग़े अदा बेतर्ह झुँझलाने लगी॥
जुल्फ़ मुश्की मार की बढ़ बढ़ के अब तो पैर तक।
नातवां नाकाम उश्शाकों को उलझाने लगी॥
देख कर कातिल को आते हाथ में खंजर लिए।
खौफ से मरकत मेरी बेतर्ह थर्राने लगी॥
हो नहीं सकती गुज़र मेहफिल में अब तो आपके।
बदजुबानी गालियाँ साहेब ये सुनवाने लगी॥
देख कर चश्मे ग़िजाला यार की बेताब हो।
बीच गुलशन के कली नरगिस की मुरझाने लगी॥
जा रहा है सैर गुलशन के लिए वो सर्वकद।
शोखिये पाज़ेब की यां तक सदा आने लगी॥
चश्म गिरियां की झड़ी मय की लगाये देख कर।
हँस के बिजली वो परी पैकर भी कड़काने लगी॥१॥

अपने आशिक पर सितमगर रहम करना चाहिए।
देख कर एक बारगी उससे न फिरना चाहिए॥
काटना लाखों मलों का रोज यह अच्छा नहीं।
आकवत के रोज़ को कुछ दिल में डरना चाहिए।