पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 2.pdf/५

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प्रकाशकीय

श्री प्रेमघन जी भारतेन्दु मंडल के सब से अधिक निकट के प्रतिभावान्‌ नक्षत्र थे—रचना शक्ति, जीवन पद्धति और यहाँ तक कि वेश-भूषा में भी भारतेन्दु' जैसे। इस दृष्टि से पंडित बदरी नारावया चौधरी की कृतियाँ हिन्दी साहित्य के इतिहास की महत्वपूर्ण कड़ियाँ हैं। उन्हीं की कृतियों का यह संग्रह प्रेमघन सर्वस्व आपके सामने है। इसके प्रथम भाग में काव्य और इसके दूसरे भाग में गद्य-सामग्री संकलित कर हिन्दी पाठकों के सम्मुख रखते हुए हमें संतोष है। आशा है, सहृदय पाठक इस गद्य-संग्रह का उचित स्वागत करेंगे।

कार्तिकी पूर्णिमा, २००७ कृष्णदेव प्रसाद गौड़,
साहित्य मंत्री