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पृष्ठ:प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियां.djvu/३०

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प्रेमचंद को सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ


कोई पारिक की सैर करता होगा, यहाँ आयें पुलिस के कोड़े खाने के लिए? तुमने भली कही!

शंभू-तुम यह बातें क्या समझोगे मैक, जिस काम में चार बड़े आदमी अगुआ होते हैं, उसकी सरकार पर भी धाक बैठ जाती है। लफंगों-लौंडों का गोल भला हाकिमों की निगाह में क्या जँचेगा?

मैकू ने ऐसी दृष्टि से देखा, जो कह रही थी-इन बातों के समझने का ठीका कुछ तुम्हीं ने नहीं लिया है और बोला-बड़े आदमी को तो हमों लोग बनाते-बिगाड़ते हैं या कोई और? कितने ही लोग जिन्हें कोई पूछता भी न था, हमारे ही बनाये बड़े आदमी बन गये और अब मोटरों पर निकलते हैं और हमें नीच समझते हैं। यह लोगों की तकदीर की खूबी है कि जिसकी जरा बढ़ती हुई और उसने हमसे आँखें फेरी। हमारा बड़ा आदमी तो वही है, जो लैंगोटी बाँधे नङ्गे पाँव घूमता है, जो हमारी दशा को सुधारने के लिए अपनी जान हथेली पर लिये फिरता है। और हमें किसी बड़े आदमी की परवाह नहीं है। सच पूछो तो इन बड़े आदमियों ने ही हमारी मिट्टी खराब कर रखी है। इन्हें सरकार ने कोई अच्छी-सी जगह दे दी, बस उसका दम भरने लगे।

दीनदयाल-नया दारोगा बड़ा जल्लाद है। चौरस्ते पर पहुँचते ही हंटर लेकर पिल पड़ेगा। फिर देखना, सब कैसे दुम दबाकर भागते हैं। मजा आएगा।

जुलूस स्वाधीनता के नशे में चूर चौरस्ते पर पहुँचा, तो देखा, आगे सवारों और सिपाहियों का एक दस्ता रास्ता रोके खड़ा है।

सहसा दारोमा बीरबलसिंह घोड़ा बढ़ाकर जुलूस के सामने आ गये और बोले-तुम लोगों को आगे जाने का हुक्म नहीं है।

जुलूस के बूढ़े नेता इब्राहीमअली ने आगे बढ़कर कहा-मैं आपको इत्मीनान दिलाता हूँ, किसी किस्म का दंगा-फसाद न होगा। हम