यत्न करने लगे। टामी ने एक नई चाल चली। वह कभी किसी पशु से कहता, तुम्हारा फ़लाँ शत्रु तुम्हें मार डालने की तैयारी कर रहा है। किसी से कहता, फलाँ तुमको गाली देता था। जंगल के जंतु उसके चकमे में आकर आपस में लड़ जाते, और टामी की चाँदी हो जाती। अंत में यहाँ तक नौबत पहुँची कि बड़े-बड़े जंतुओं का नाश हो गया। छोटे-छोटे पशुओं को उससे मुकाबला करने का साहस न होता। उसकी उन्नति और शक्ति देखकर उन्हें ऐसा प्रतीत होने लगा, मानो यह विचित्र जीव आकाश से हमारे ऊपर शासन करने के लिये भेजा गया है। टामी भी अब अपनी शिकारबाजी के जौहर दिखाकर उनको इस भ्रांति को पुष्ट किया करता। वह बड़े गर्व से कहता―परमात्मा ने मुझे तुम्हारे अपर राज्य करने के लिये भेजा है। यह ईश्वर की इच्छा है। तुम आराम से अपने घरों में पड़े रहो, मैं तुमसे कुछ न बोलूँँगा, केवल तुम्हारी सेवा करने के पुरस्कार-स्वरूप तुममें से एक-आध का शिकार कर लिया करूँगा। आख़िर मेरे भी तो पेट है; बिना आहार के कैसे जीवित रहूँगा, और कैसे तुम्हारी रक्षा करूँगा? वह अब बड़ी शान से जंगल में चारो ओर गौरवान्वित दृष्टि से ताकता हुआ विचरा करता।
टामी को अब कोई चिंता थी, तो यह कि इस देश में मेरा कोई मुद्दई न उठ खड़ा हो। वह नित्य सजग और सशस्त्र रहने लगा। ज्यों-ज्यों दिन गुजरते थे, और उसके सुख-भोग का चसका बढ़ता जाता था, त्यों-त्यों उसकी चिंता भी बढ़ती जाती थी।