पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/३

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निवेदन हम आज हिन्दी ससारकी सेवामें हिन्दी पुस्तक एजेन्सी के 'प्रेम-पूर्णिमा' नामक पुस्तकका आठवों संस्करण सप्रेम समर्पित करते हैं। प्रेम पूर्णिमामें प्रेमचन्द' जीकी पन्द्रह चुनी हुई गल्पे हैं। इनका गुण दोष दिग्दर्शन प्रकाशककी वर्णन शक्तिसे परे है। हाँ, इतना निस्संकोच कहा जा सकता है कि भारतकी अत्युन्नत,भाषाओं- में भी इससे अच्छी गल्पे बहुत कम हैं। बङ्गभाषाका साहित्य गल्पों और उपन्यासोंके नाते विशेष सम्पन्न गिना जाता है पर उसमें भी ऐसी अच्छी गल्पे लिखनेवाले एक दो ही हैं । यह हमारी कपोल कल्पना नही, बङ्गभाषाके वत्त मान उपन्यास सम्राट प्रसिद्ध गल्प लेखक श्रीशरचन्द्र चट्टोपाध्याय महाशयकी सच्ची राय है। हिन्दीमें बगभाषासे अनुवाद होकर जो दो-चार गल्प सग्रह निकले हैं उन्हे मुकाबले में रखकर पाठक इस कथनकी सचाईकी परीक्षा कर सकते हैं । मराठी और गुजरातीमें तो बड़ी शीघ्रतासे 'प्रेमचन्द' जीकी सब गल्पोका अनुवाद हो रहा है। हिन्दी ससारको 'प्रेमचन्दजी' पर गर्व होना चाहिये जिनकी लेखनीके प्रतापसे गल्प और उपन्यासों में हिन्दी अपनी दूसरी बहनोंके बराबर बनती जा रही है। जिन लोगोंमें गल्पोंके गुणदोष जाँचनेकी शक्ति है, उनसे हमारा विनीत निवेदन है कि वे इस पुस्तककी उचित समालोचना करनेकी कृपा अवश्य करे । -प्रकाशक