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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१२२

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सभयतः उभयतः - क्रि० वि० दोनों ओर से । डभरना - क्रि० भ० दे० " उभड़ना " । उभरौंहा - वि० उभरा हुआ । उभाड़ - संज्ञा पुं० उठान । ऊँचापन । उभाड़ना - क्रि० स० उत्तेजित करना । उभिटना - क्रि० प्र० हिचकना । उभै वि० दे० "उभय" । उमंग-संज्ञा स्त्री० चित्त का उभाड़ । मौज। उमंगना- क्रि० प्र० • दे० " उमगना" | उमड़ना - क्रि० प्र० दे० " उमड़ना" । समगः- संज्ञा स्त्री० दे० " उमंग" । उमगना - क्रि० अ० १. उभड़ना । २. उल्लास में होना । उमचना - क्रि० प्र० हुमचना । उमड़-संज्ञा स्त्री० बाढ़ | उमड़ना - क्रि० प्र० १. उतराकर वह चलना । २. उठकर फैलना । जोश में आना । ११४ डरल उमाद - संज्ञा पुं० दे० " उन्माद" । उमापति-संज्ञा पुं० शिव । उमाह-सज्ञा पुं० उत्साह | उमेठन-संज्ञा स्त्री० मरोड़ । उमेठना- क्रि० स० ऐंठना । मरोड़ना । उमेड़ना- क्रि० स० दे० " उमेठना " । उमेलना- क्रि० स० प्रकट करना । उम्दगी - संज्ञा स्त्री० अच्छापन । भल्ला- पन । खुबी । उम्दा - वि० अच्छा । भला । उम्मत - संज्ञा बी० जमाश्रत । उम्मीद, उम्मेद-संज्ञा स्त्री० भाशा । भरोसा । श्रासरा । उम्मेदवार- सज्ञा पुं० श्रासरा रखने- वाला । उम्मेदवारी - संज्ञा स्त्री० श्राशा । श्रासरा । उम्र-संज्ञा स्त्रो० श्रवस्था । ३. उर - संज्ञा पुं० हृदय । उमड़ाना - क्रि० प्र० दे० "उमड़ना" । क्रि० स० " उमड़ना" का प्रेरणार्थक रूप । उमदा - वि० दे० "उम्दा" । समर -संज्ञा खो० अवस्था । उमरा -संज्ञा पु० प्रतिष्ठित लोग । उमराव-संज्ञा पुं० दे० " उमरा" | उमस-संज्ञा स्त्रो० वह गरमी जो हवा न चलने पर होती है । उमहना- क्रि० श्र० दे० " उमड़ना" । हमा - संज्ञा खो० शिव की स्त्री, पार्वती । उमाकना- क्रि० अ० नष्ट करना । समाकिनी+- वि० स्त्री० खोदकर फेंक देनेवाली । उमाचना -- क्रि० स० उभाड़ना । उरग - संज्ञा पुं० साँप । उरगना - क्रि० स० स्वीकार करना । उरगारि - संज्ञा पुं० गरुड़ । ठरगिनी -संज्ञा स्त्री० सर्पिणी । उरझना - क्रि० प्र० दे० "उलझना " | उरद -संज्ञा पुं० [ श्री० अल्पा० उरदी ] एक प्रकार का पौधा जिसकी फलियों के बीज या दान की दाल होती है । माष । उरध-क्रि० वि० दे० "ऊर्ध्व" । उरधारना- क्रि० स० दे० " उधेड़ना " | उरबसी - संज्ञा स्त्री० दे० " उवंशी" । उरबी - संज्ञा स्त्री० दे० "उर्वी" । उरमना - क्रि० प्र० लटकना । उरमाना + क्रि० स० लटकाना । उरमाल - संज्ञा पुं० रूमाल । उरस - वि० फीका नीरस ।