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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१३५

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औघड़ औघड़ -संज्ञा पुं० [स्त्री० पौषदिन ] अघोरी । वि० [अंड बंड | १२७ संज्ञा स्त्री० दे० "अवधि" । औधिः -संज्ञा स्त्री० दे० " अवधि" । नि-संज्ञा स्त्री० दे० "अवनि" । औघर - वि० १. अंडबंड । २. अनाखा । श्रना- पौना - वि० थोड़ा-बहुत । औचक - कि० वि० अचानक । औचट - संज्ञा स्त्री० थंडस । क्रि० वि० अचानक । औचित्य - संज्ञा पुं० उपयुक्तता । औजार- संज्ञा पुं० हथियार । औटना- क्रि० स० खौलाना । श्रौटाना - क्रि० स० दे० " औटना" । दर - वि० मनमौजी । श्रतरना - क्रि० प्र० दे० "नव- तरना" । औतार - संज्ञा पुं० दे० " अवतार " । औत्सुक्य - संज्ञा पुं० उत्सुकता । चौथरा - वि० दे० " उथला" । दरिक - वि० १. उदर-संबंधी । २. पेटू । औदार्य संज्ञा पुं० उदारता । औदंबर - वि० १. उदुंबर या गूलर बना हुआ । २. तांबे का बना 6 हुआ । संज्ञा पुं० गूलर की लकड़ी का बना हुआ यज्ञपात्र । औद्धत्य -संज्ञा पुं० उजड्डुपन | औद्योगिक वि० उद्योग संबंधी । औध - संज्ञा पुं० दे० " श्रवध" । औपचारिक - वि० उपचार संबंधी । औपनिवेशिक - वि० उपनिवेश संबंधी। औपन्यासिक - वि० १. संबंधी । २. अद्भुत । उपन्यास- संज्ञा पुं० उपन्यास-लेखक | श्रमः -संज्ञा स्त्री० श्रवम तिथि । और अन्य दो शब्दों या वाक्यों को जोड़नेवाला शब्द | वि० १. दूसरा । २. अधिक । श्रौरत - संज्ञा स्त्री० श्री । श्रौलाद - संज्ञा स्त्री० १. संतान । वंश-परंपरा | प्रौला मौला - वि० मनमौजी । श्रौलिया -संज्ञा पुं० पहुँचे हुए फ़कीर । श्रौवल - वि० १. पहला । २. सर्वश्रेष्ठ । संज्ञा पुं० श्रारंभ | श्रौषध - संज्ञा पुं० स्त्री० दवा | श्रसत-संज्ञा पुं० बराबर का परता । सामान्य । वि० साधारण । श्रसरः -संज्ञा पुं० दे० " अवसर” | श्रीसान -संज्ञा परिणाम | संज्ञा पुं० सुध-बुध । क क- हिंदी वर्णमाला का पहला व्यंजन इसका उच्चारण कंठ से चर्ण । होता है । कं-संज्ञा पुं० जल | कंक-संज्ञा पुं० [स्त्री० कंका, कंकी ] सफेद चीन ।