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कुदर क़दर - संज्ञा खो० मान । कदरई* -संज्ञा स्त्री० कायरता । कदरदान - वि० क़दर करनेवाला । कंदरदानी - -संज्ञा स्त्री० गुणग्राहकता । कदराई -संज्ञा खो० कायरपन । कदराना- क्रि० प्र० डरना । कदर्थ- संज्ञा पुं० कूड़ा-करकट | कदर्थना -संज्ञा स्त्री० । वि० कदर्थित ] दुर्गति । कदर्थित - वि० दुर्गति प्राप्त । कदर्य - वि० [ संज्ञा कदर्शना | कंजूस । कदलो- संज्ञा श्रो० केला । कदा- क्रि० वि० कब । किस समय । कदाचार - संज्ञा पुं० [वि० कदाचारो ] बुरी चाल । कदाचित् क्रि० वि० कभी । शायद । कदापि - क्रि० वि० कभी । हर्गिज़ | कदी - वि० हठी | ज़िद्दी । क़दीम - वि० पुराना | कदीमी - वि० पुराना | कद्रुज - संज्ञा पुं० सर्प । कद -संज्ञा पुं० लौकी कह क - संज्ञा पु० लोहे, पीतल आदि की छेददार चै की जिस पर कद्दू को रगड़कर उसके महीन टुकड़े करते हैं । कन- संज्ञा पुं० बहुत छोटा टुकड़ा | कनक - संज्ञा पुं०१ सोना । २ धतूरा । संज्ञा पुं० गेहूँ । कनककशिपु-संज्ञा पुं० दे० "हिरण्य- कशिपु" । कनकचंपा -संज्ञा स्त्रो० मध्यम आकार का एक पेड़ । कनकटा - वि० जिसका कान कटा हो । कनकना - वि० [स्त्री० कनकना ] जिस• से कनकनाहट उत्पन्न हो । १३६ कनमनाना कनकनाना- क्रि० प्र० [संज्ञा कनकना- हट ] चुनचुनाना । कनकनाहट -संज्ञा खो० कनकनी । कनकफल-संज्ञा पुं० १. धतूरे का फल । २. जमालगोटा । कनकाचल-मंज्ञा पुं० १. साने का पर्वत । २ सुमेरु पर्वत । कनकी संज्ञा स्त्री० छोटा कणा । कनकौवा - B [-सज्ञा पुं० गुड्डी । कनखजूरा - सज्ञा पु० गोजर । कन खियाना- क्रि० स० कनखी या तिरछी नज़र से देखना | कनखी-सशास्त्रा ०१. पुनजी को ख के कोने पर ले जाकर ताकने की मुद्रा | २. श्रख का इशारा । कनखैया 1-सशास्त्रा ० दे० " कनवी" । कनखादनी - संज्ञा स्त्री कान की मैल बिकान की सलाई । कनगुरिया - म उँगली । [-मशास्त्रा० सबसे छोटी कनछेदन - संज्ञा पुं० हिंदुत्रों का एक संस्कार जिसमें बच्चों का कान छेदा जाता है । कर्णवेध | कनटोप-मज्ञा पुं० कानों को ढकने- वाली टोपी । कनपटी - संज्ञा स्त्री० कान और आँख के बीच का स्थान । कनफुका - वि० [ त्रो० कनफुं को ] कान फूंकनेवाला । दोखा देनेवाला । कनफुसकी | -संज्ञा स्त्री० दे० "काना- फूमी" । कनमनाना - क्रि० प्र० १. सोए हुए प्राणी का कुछ श्राइट पाकर हिलना- डोलना या सवेष्ट होना । २. किसी बात के विरुद्ध कुछ कहना या चेष्टा करना ।