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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१६९

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कारनिस कारनिस - संज्ञा की० कगर । कारपरदाज़- वि० कारिंदा । कारवार-संज्ञा पुं० [वि० कारबारी ] काम- काज | १. करतूत । कारबारी - वि० कामकाजी । संज्ञा पुं० कारिंदा | काररवाई -संज्ञा स्त्री० २. कार्य तत्परता । कारसाज - वि० [ संज्ञा कारसाजी ] काम पूरा करने की युक्ति निकालनेवाला । कारसाज्ञी - संज्ञा स्त्री० १. काम पूरा उतारने की युक्ति । २. चालबाज़ी । कारस्तानी - संज्ञा स्त्री० कारसाज़ी । कारा-संज्ञा स्त्री॰ क़ैद | कारागार, कारागृह -संज्ञा पुं० कै.द- खाना । कारावास - संज्ञा पुं० कैद । कारिंदा -संज्ञा पुं० कर्मचारी । कारिका -संज्ञा स्त्री० किसी सूत्र की व्याख्या । कारिख - संज्ञा स्त्री० दे० " कालिख" । कारित-बि० कराया हुआ । कारी - संज्ञा पुं० [स्त्री० कारिणी ] करने- वाला । वि० घातक । कारीगर - संज्ञा पुं० [ संज्ञा कारीगरी ] शिल्पकार । वि० निपुण । कारीगरी - संज्ञा स्त्री० १. अच्छे अच्छे काम बनाने की कला । २. मनोहर रचना । कारुणिक - वि० कृपालु | कारुण्य-संज्ञा पुं० दया । कारोबार- संज्ञा पुं० दे० " कारवार" । कार्तिक -संज्ञा पुं० एक चांद्र मास जो क्वार और अगहन के बीच में पड़ता है। 99 १६१ कार्पण्य - संज्ञा पुं० कंजूसी । कालधर्म कामुक - संज्ञा पुं० धनुष । कार्य-संज्ञा पुं० काम । कार्यकर्त्ता-संज्ञा पुं० कर्मचारी | कार्यकारण भाव -संज्ञा पुं० कार्य और कारण का संबंध | कार्यार्थी - वि० कार्य की सिद्धि चाहने- वाला । कार्यालय - संज्ञा पुं० दफ़र। कारखाना । कार्रवाई - संज्ञा स्त्री० दे० " काररवाई" | काल -- संज्ञा पुं० १. समय । २. यम- राज । ३. दुर्भिक्ष । ४. [स्त्री० काली ] शिव का एक नाम । कलकंठ - संज्ञा पुं० १. शिव । २. नील- कंठ | कालकूट -संज्ञा पुं० एक प्रकार का अत्यंत भयंकर विष । कालकोठरी - संज्ञा स्त्री० १. जेलखाने की बहुत तंग और अँधेरी कोठरी जिसमें कैद - तनहाई वाले कैदी रखे जाते हैं । २. कलकत्ते के फोट- विलियम नामक किले की एक तंग कोठरी जिसमें लोकापवाद के अनु- सार सिराजुद्दौला ने बहुत से अँगरेज़ों को कैद किया था । कालक्षेप - संज्ञा पुं० समय बिताना । कालचक्र - संज्ञा पुं० समय का हेर- फेर । कालश-संज्ञा पुं० ज्योतिषी । कालज्ञान - संज्ञा पुं० १. स्थिति और श्रवस्था की जानकारी । २. मृत्यु का समय जान लेना । काळदंड - संज्ञा पुं० यमराज का दंड । कालधर्म -संज्ञा पुं० १. मृत्यु । २. समयानुसार धर्म ।