कुंजकुटीर 1 कुजकुटीर - संज्ञा स्त्री० कु जगृह । कुंजगली - संज्ञा स्त्री० १. बगीचों में लताओं से छाया हुआ पथ । २. पतली तंग गली । कु जड़ा-संज्ञा पुं० स्त्री० कुँजड़ी, कुजड़िन ] एक जाति जो तरकारी बोती और बेचती है। १६८ कुंदी फँसाई जाती है और ताला लगाया जाता है । कुंडी - संज्ञा खी० पत्थर या मिट्टी का, कटारे के आकार का, बरतन जिसमें दहा, चटनी आदि रखते हैं । मज्ञा स्त्री० ज़जीर की कड़ी । कुंत -संज्ञा पुं० भाला । कुंजर - संज्ञा पुं० [स्त्री० कु जरा, कुजरी ] कुंतल - संज्ञा पुं० केश । हाथी । वि०श्रेष्ठ | कुंजविहारी-संज्ञा पुं० श्रीकृष्ण । कुंजी - संज्ञा स्त्री० १. चाभी । २. टीका । कुंठ - वि० १. जो चोखा या तीक्ष्ण न हो । २. मूर्ख । कुंठित - वि० मंद | कुंड - संज्ञा पुं० १. चौड़े मुँह का एक गहरा बर्तन । २. बहुत छोटा तालाब । कुंडरा -संज्ञा पुं० कुंडी | मटका | कुंडल - संज्ञा पुं० १. बाली । २. छंद में वह मात्रिक गण जिसमें दो मात्राएँ हों, पर एक ही अक्षर हो । ३. बाईस मात्रात्रों का एक छंद । कुंडलाकार - वि० गोल । कुंडलिका - संज्ञा स्त्री० कुंडलिया छंद । कुंडलिया - संज्ञा स्त्री० एक मात्रिक छंद जो एक दोहे और एक रोला के योग से बनता है । कुंडली - संज्ञा स्त्री० के ग्रहों की स्थिति बतानेवाला एक चक्र जिसमें बारह घर होते हैं संज्ञा पुं० १. साँप । २. विष्णु । कुंडा-संज्ञा पुं० बड़ा मटका | संज्ञा पुं० दरवाजे की चौखट में लगा हुआ कोढ़ा जिसमें सांकल जन्म-काल 1 कुंता - संज्ञा स्त्री० दे० "कुती" । कुंती - संज्ञा स्त्री० युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम की माता | सज्ञा स्त्री० बरछी । कुथना - क्रि० अ० मारा-पीटा जाना । कुंद - संज्ञा पुं० १. जूही की तरह का एक पौधा जिसमें सफेद फूल लगते हैं । २. कनेर का पेड़ । ३. कमल । वि० गुठला । कुंदन - संज्ञा पुं० बहुत अच्छे और साफ सोने का पतला पत्तर जिसे लगाकर ड़िए नगीने जड़ते हैं । वि० स्वच्छ । कुंदरू -संज्ञा पुं० एक बेल जिसमें चार- पाँच अंगुल लंबे फल लगते हैं जिनकी सरकारी होती है। कुंदलता - संज्ञा स्त्री० छब्बीस अचरों की एक वर्णवृत्ति । कुंदा-संज्ञा पुं० १. लकड़ी का बड़ा, मोटा और बिना चीरा हुआ टुकड़ा जो प्रायः जलाने के काम में प्राता है । २. बंदूक का चौड़ा पिछला भाग । ३. बेंट संज्ञा पुं० १. डैना । २. कुश्ती का एक पेंच । संज्ञा पुं० खोवा | कुंदी-संज्ञा स्त्री० १. कपड़ों की सिकुड़न
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