कुतुब दिग्द- . कुतुब-संज्ञा पुं० ध्रुव तारा । . कुतुबनुमा - संज्ञा पुं० वह यंत्र जिससे दिशा का ज्ञान होता है । र्शक यंत्र । कुतूहल - संज्ञा पुं० [ वि० कुतूहली ] १. किसी वस्तु के देखने या किसी बात के सुनने की प्रबल इच्छा । २. कुतूहली - वि० जिसे वस्तुओं को देखने जाने की अधिक उत्कंठा हो । कुत्ता - संज्ञा पुं० [स्त्री० कुत्ती ] १. कूकुर । २. क्षुद्र | कुत्सा - संज्ञा स्त्री० निंदा । कुत्सित - वि० १. नीच । २. निंदित । कुदकना- क्रि० प्र० दे० " कूदना " । कुदका + - संज्ञा पुं० उछल-कूद | . कुदरत - संज्ञा स्त्री० १. शक्ति । २. ईश्वरी शक्ति | . कदरती - वि० ईश्वरीय । कुदर्शन - वि० ० बदसूरत । कुद -संज्ञा पुं० कुघात । कुदाई - वि० छली | कुदान -संज्ञा पुं० बुरा दान । संज्ञा स्त्री० कूदने की क्रिया । कुदाना - क्रि० स० कूदने में प्रवृत्त करना । कुदाल - संज्ञा स्त्री० [स्त्री० भल्पा० कुदाली ] मिट्टी खोदने और खेत गोड़ने का क कुदिन - संज्ञा पुं० आपत्ति का समय । कुदिष्टि -संज्ञा स्त्री० दे० " कुदृष्टि" | कुदृष्टि-संज्ञा स्त्री० बुरी नज़र । कुदेव - संज्ञा पुं० ब्राह्मण । संज्ञा पुं० राक्षस । कुद्रव - संज्ञा पुं० कोदो । १७२ कुप्पी कुधर - संज्ञा पुं० १. पहाड़ । २. शेष- नाग । कुधातु-संज्ञा स्त्री० १. री धातु । २. लोहा । कुनकुना - वि० श्राधा गरम । कुनप-संज्ञा पुं० दे० " कुणप" । . कुनबा - संज्ञा पुं० कुटुंब । कुनबी - संज्ञा पुं० कुरमी । कुनवा -संज्ञा पुं० बर्तन आदि खरा- दनेवाला मनुष्य | कुनह - संज्ञा स्त्री० [वि० कुनही ] द्वेष | कुनही - वि० द्वेष रखनेवाला । कुनाम -संज्ञा पुं० बदनामी । . कुनैन- -संज्ञा स्त्री० सिंकोना नामक पेड़ की छाल का सत जो अँगरेज़ी चि- कित्सा में ज्वर के लिये अत्यंत उप- कारी माना जाता है । कुपंथ-संज्ञा पुं० बुरा मार्ग I कुपद - वि० अनपढ़ । कुपथ - संज्ञा पुं० बुरा रास्ता । * संज्ञा पुं० वह भोजन जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो । कुपथ्य-संज्ञा पुं० वह श्राहार-विहार जो स्वास्थ्य को हानिकारक हो । कुपना- क्रि० प्र० दे० "कोपना" । कुपाठ -संज्ञा पुं० बुरी सल्लाह । कुपात्र - वि० योग्य | कुपार-संज्ञा पुं० समुद्र । कुपित - वि० क्रुद्ध | कुपुत्र - संज्ञा पुं० दुष्ट पुत्र । कुप्पा - संज्ञा पुं० [स्त्री० भल्पा० कुप्पी ] चमड़े का बना हुआ घड़े के आकार का बर्तन जिसमें घी, तेल आदि रखे जाते हैं। कुप्पी - संज्ञा स्त्री० छोटा कुप्पा ।
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