कुसाइत कुसाइत -संज्ञा स्त्री० बुरा मुहूर्त । कॅसीद - संज्ञा पुं० [वि० कुसीदिक ] १. सूद । २. ब्याज पर दिया हुआ धन । कुसुंब - संज्ञा पुं० एक बड़ा वृक्ष जिसकी लकड़ी जाठ और गाड़ियाँ बनाने के काम में श्राती है। कुसुंभ - संज्ञा पुं० कुसुम । बरें । कुसुंभी - वि० कुसुम के रंग का । लाल । कुसुम - संज्ञा पुं० [वि० कुसुमित ] १. फूल । २. श्रख का एक रोग । ३. रजोदर्शन । संज्ञा पुं० दे० " कुसु ब" । संज्ञा पुं० एक पौधा जिसमें पीले फूल लगते हैं । कुसुमपुर -संज्ञा पुं० पटना नगर का एक प्राचीन नाम | कुसुमबाण - संज्ञा पुं० कामदेव । कुसुमस्तवक-संज्ञा पुं० दंडक छंद का एक भेद । कसुमशर - संज्ञा पुं० कामदेव | कुसुमांजलि - संज्ञा स्त्री० पुष्पांजलि । कुसुमाकर -संज्ञा पुं० १. वसंत । २. छप्पय का एक भेद । कुसुमायुध-संज्ञा पुं० कामदेव । कुसुमावलि -संज्ञा स्त्री० फूलों का गुच्छा । फूलों का समूह । कुसुमित- वि० फूला हुआ । कुसूत -संज्ञा पुं० १. बुरा सूत । २. कुसेसय-संज्ञा पुं० दे० " कुशेशय" । कुहक - संज्ञा पुं० १. धोखा । २. धुर्त । ३. मुर्गे की कूक । कुहकना - क्रि० प्र० पक्षी का मधुर स्वर में बोलना । १२ १७७ कुंड कुहनी -संज्ञा स्त्री० हाथ और बाहु के जोड़ की हड्डी । कुहप-संज्ञा पुं० राचस । कुहर - संज्ञा पुं० छेद | कहरा - संज्ञा पुं० जल के सूक्ष्म कणों का समूह जो ठंढक पाकर वायु की भाप में जमने से उत्पन्न होता है । १. रोना पीटना । कुहराम - संज्ञा पुं० २. हलचल । कुहाना - क्रि० अ० रिसाना । कुहारा - संज्ञा पुं० दे० "कुल्हाड़ा” । कुहासा । - संज्ञा पुं० दे० " कुहरा" । कुही संज्ञा स्त्री० एक प्रकार की शिकारी चिड़िया । कुहर । कुहुक -संज्ञा पुं० पक्षियों का मधुर स्वर | पीक | जिसमें कुहुकना - क्रि० प्र० पक्षियों का मधुर स्वर में बोलना । कहू-संज्ञा स्त्री० १. अमावास्या, चंद्रमा बिलकुल दिखलाई न दे। २. मार या कोयल की बोली । कूँच -संज्ञा स्त्री० मोटी नस जो ऍडी के ऊपर या टखने के नीचे होती है। कूचना /- - क्रि० स० दे० "कुचलना " | कूँचा-संज्ञा पुं० [स्त्री० कूँची ] फाडू | कूची - संज्ञा स्त्री० १. कूँचा । छोटा २. कूटी हुई मूंज या बाले का गुच्छा जिससे चीज़ों की मैल साफ करते या उन पर रंग फेरते हैं । ३. चित्रकार की रंग भरने की कलम | कूँज - संज्ञा पुं० क्रौंच पक्षी । कूड़ -संज्ञा पुं० मिट्टी या लोहे का गहरा बरतन, जिससे सिंचाई के
पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१८५
दिखावट