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पृष्ठ:बाल-शब्दसागर.pdf/१९७

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क्रूरता क्रूरता - संज्ञा स्त्री० १. निर्दयता । २. दुष्टता । क्रेता - संज्ञा पुं० खरीदनेवाला । क्रोड - संज्ञा पुं० १. आलिगन में दाने aff के बीच का भाग । २. गोद । क्रोडपत्र - संज्ञा पुं० वह पत्र जो किसी पुस्तक या समाचारपत्र में उसकी पूर्ति के लिये ऊपर से लगाया जाय । परिशिष्ट । क्रोध - संज्ञा पुं० कोप । गुस्सा । क्रोधित - वि० कुपित । क्रोधी - वि० करनेवाला | [स्त्री० क्रोधिनी ] क्रोश - संज्ञा पुं० कोस । क्रोध क्रौंच - संज्ञा पुं० कर्राकुल नामकपक्षी। क्लांत - वि० थका हुआ । क्लांति-संज्ञा स्त्री० १. परिश्रम | थकावट । २. क्लिष्ट - वि० १. दुखी । २. कठिन | क्लिष्टता - संज्ञा स्त्री० क्लिष्ट का भाव । क्लिष्टत्व-संज्ञा पुं० क्लिष्ट का भाव । क्लीव - वि० पुं० १. नपुंसक । २. डरपोक । क्लीवता - संज्ञा स्त्री० क्लीव का भाव । क्लीवत्व-संज्ञा पुं० नपुंसकता । लद-संज्ञा पुं० १. गीलापन । २. पसीना । क्लोदक-संज्ञा पुं० पसीना लानेवाला । क्लश-संज्ञा पुं० [दुःख । व्यथा | वेदना । कशित - वि० दुःखित । क्वचित् क्रि० वि० कोई ही । क्वणित - वि० शब्द करता हुआ । क्वाथ - संज्ञा पुं० काढ़ा । क्वारपन - संज्ञा पुं० कुमारपन । १८६ क्षपाचर क्वारा- संज्ञा पुं० वि० [स्त्री० कारी ] जिसका विवाह न हुआ हो । क्वारापन - संज्ञा पुं० दे० "क्वारपन " | क्षतव्य - वि० क्षम्य । क्षण-संज्ञा पुं० [वि० क्षणिक ] १. काल या समय का सबसे छोटा भाग । २ श्रवसर । ३. समय । क्षणप्रभा - संज्ञा स्त्री० बिजली । क्षणभंगुर - वि० शीघ्र या क्षण भर में नष्ट होनेवाला । अनित्य । क्षणिक - वि० क्षणभंगुर । क्षत - वि० घाव लगा हुआ । संज्ञा पुं० १ घाव । २. मारना । क्षत-विक्षत - वि० घायल | क्षतव्रण - संज्ञा पुं० कटने या चोट लगने के बाद पका हुआ स्थान । क्षति - संज्ञा स्त्री० १. हानि । २. नाश । क्षत्र - संज्ञा पुं० १. बल । २. क्षत्रिय । क्षत्रकर्म -संज्ञा पुं० क्षत्रियोचित कर्म । क्षत्रधर्म -संज्ञा पुं० क्षत्रियों का धर्म । क्षत्रपति - संज्ञा पुं० राजा । क्षत्रयोग - संज्ञा पुं० ज्योतिष में राजयोग । क्षत्रवेद - संज्ञा पुं० धनुर्वेद | क्षत्रिय - संज्ञा पुं० [स्त्री० क्षत्रिया, क्षत्राणो ] हिंदुनों के चार वर्णों में से दूसरा वर्ण । क्षत्री - संज्ञा पुं० दे० "क्षत्रिय" । क्षपणक - वि० निर्लज । संज्ञा पुं० १. दिगंबर यती । २. बौद्ध सन्यासी । क्षपा-संज्ञा स्त्री० रात । क्षपाकर -संज्ञा पुं० १. चंद्रमा । कपूर । २. क्षपाचर - संज्ञा पुं० [स्त्री० क्षपाचरी ] निशाचर ।